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दिल्ली सीपी शूटआउट 10 पुलिस वाले दोषी

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के बहुचर्चित कनाट प्लेस (सीपी) शूटआउट मामले में तत्कालीन एसीपी के एस.एस. राठी समेत 10 पुलिसकर्मियों को दोषी ठहराया. घटना 31 मार्च, 1997 की है. सीपी में 2 बिजनेसमैन को यूपी का गैंगस्टर यासीन समझ लिया गया था. जिस पर उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी. उस का एनकाउंटर कर दिया गया था. जांच होने पर पुलिस ने कहा था कि पहचान में गलती हो गई थी. बिजनेसमैन को उन्होंने जानबूझ कर नहीं मारा, बल्कि यासीन का पीछा करते हुए गलती से वारदात हुई. निचली अदालत ने सभी को बरी कर दिया था, लेकिन हाई कोर्ट ने 2009 में सभी दोषियों की उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा था.

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लाखन भैया एनकाउंटर, 13 पुलिसकर्मी दोषी

मुंबई के लाखन भैया फेक एनकाउंटर मामले में सेशन कोर्ट ने 13 पुलिसकर्मियों समेत 21 लोगों को दोषी करार दिया था और उम्रकैद की सजा सुनाई थी. पुलिस ने दावा किया था कि 11 सितंबर, 2006 को उन्होंने अंधेरी इलाके में उस के द्वारा लाखन भैया (बदमाश) को मार गिराया था.

लाखन के भाई ने दावा किया था कि उसे अगवा कर फरजी एनकाउंटर की कहानी पुलिस ने गढ़ी और पुलिस कमिश्नर को भेजे गए फैक्स और टेलीग्राम सबूत के तौर पर पेश कर दिए. सेशन कोर्ट ने मामले में 21 लोगों को दोषी करार दिया और 13 पुलिसकर्मी समेत अन्य को उम्रकैद की सजा सुना दी थी.

पीलीभीत एनकाउंटर, सिख युवकों की हत्या पर सवाल

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने यूपी के पीलीभीत में 11 सिख युवकों को फरजी एनकाउंटर में मारने के आरोपी पुलिसकर्मियों को गैरइरादतन हत्या के मामले में दोषी ठहराया. इस में कुल 43 पुलिसकर्मियों को कोर्ट ने 7-7 साल कैद की सजा सुनाई थी. घटना 12 जुलाई, 1991 की है. पुलिस का कहना था कि लडक़े आतंकी थे, लेकिन मामले की छानबीन सीबीआई ने की और एनकाउंटर को फरजी ठहराया.

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