18 दिसंबर, 2018 को मंगलवार था. स्कूल की छुट्टी के बाद संजलि अपनी सहेलियों के साथ साइकिल से घर जाने के लिए निकली. सहेलियों से बातचीत करती हुई वह चौराहे पर पहुंची. वहां से वह अपने गांव की सड़क की तरफ मुड़ गई. उस की सहेलियां दूसरी सड़क पर चली गईं.
संजलि ने सहेलियों से अगले दिन मिलने का वादा किया था, लेकिन उस के साथ रास्ते में एक ऐसी घटना घट गई, जो दिल को दहलाने वाली थी. रास्ते में 2 बाइक सवार युवकों ने पैट्रोल डाल कर उसे जिंदा जला दिया.
यह घटना उत्तर प्रदेश के विश्वप्रसिद्ध आगरा शहर में घटी. यहां के थाना मलपुरा का एक गांव है लालऊ. हरेंद्र सिंह अपने परिवार के साथ लालऊ गांव में ही रहते थे. संजलि उन्हीं की मंझली बेटी थी. हरेंद्र सिंह सिकंदरा स्थित एक जूता फैक्टरी में जूता कारीगर थे. उन की 15 वर्षीय बेटी संजलि घर से करीब डेढ़ किलोमीटर दूर नौमील गांव स्थित अशरफी देवी छिद्दा सिंह इंटर कालेज में 10वीं कक्षा में पढ़ती थी.
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हर रोज की तरह उस दिन भी स्कूल की छुट्टी दोपहर डेढ़ बजे हुई. छुट्टी के बाद संजलि को चले अभी 10-15 मिनट ही हुए थे. जब वह घर से 500 मीटर पहले जगनेर रोड पर लालऊ नाले के पास पहुंची, तभी 2 बाइक सवार युवक पीछे से संजलि की साइकिल के बराबर में आए.
यह देख कर वह डर गई और साइकिल की गति तेज कर दी. क्योंकि कुछ दिन पहले भी 2 युवकों ने उस के साथ छेड़छाड़ की थी. वह बात उस ने अपने घर वालों को नहीं बताई थी. साइकिल की गति तेज होते ही युवकों की बाइक की गति तेज हो गई. पीछा करने वाले कौन हैं और क्या चाहते हैं, यह सोच कर संजलि परेशान थी. इस से पहले कि वह कुछ समझ पाती, बाइक पर पीछे बैठे युवक ने हाथ में पकड़ी प्लास्टिक की बोतल से संजलि के ऊपर पैट्रोल डाला और फुरती से लाइटर से आग लगा दी.
इतना ही नहीं, हमलावरों ने जलती हुई संजलि को सड़क किनारे खाई में धक्का दे दिया, इस से वह खाई में जा गिरी. दोनों युवक वारदात को अंजाम दे कर वहां से फरार हो गए.
संजलि आग की लपटों से घिर गई थी, उस के खाई में गिरने से वहां की झाडि़यों ने भी आग पकड़ ली. आग में घिरी संजलि हिम्मत कर के जैसे तैसे सड़क पर पहुंची, उस की मर्मांतक चीख सुन कर कई राहगीर रुक गए. जलती हुई लड़की को देख कर उन के होश उड़ गए.
संजलि ने जमीन पर लेट कर आग बुझाने की कोशिश की. तब तक आग से उस की पीठ पर लटका स्कूली बैग पूरी तरह जल चुका था. उसी समय वहां से एक बस गुजर रही थी. दिल दहलाने वाला मंजर देख कर बस चालक मुकेश ने बस वहीं रोक ली और बस में रखा अग्निशमन यंत्र ले कर दौड़ा लेकिन दुर्भाग्य से वह चल नहीं पाया. इस पर वह बस में रखा दूसरा यंत्र ले कर आया और आग बुझाई. इस बीच बस की सवारियां व अन्य राहगीर भी वहां एकत्र हो गए, आग बुझाने के प्रयास में बस चालक मुकेश के हाथ भी झुलस गए थे.
वहां से अजय नाम का एक युवक भी गुजर रहा था. उस ने जलन से तड़पती संजलि को पहचान लिया और फोन से संजलि के घर खबर कर दी. घटना की जानकारी मिलते ही उस के मातापिता के होश उड़ गए. वे गांव के लोगों के साथ बदहवास से घटनास्थल पर पहुंचे. आग से झुलसी संजलि ने पूरे घटनाक्रम की जानकारी अपने घर वालों को दे दी.
इसी बीच किसी ने 100 नंबर पर फोन कर के इस घटना की सूचना पुलिस को दे दी थी. सूचना मिलते ही पुलिस कंट्रोल रूम की टीम वहां पहुंच गई. पुलिस ने संजलि को आगरा के एस.एन. मैडिकल कालेज के आईसीयू में भरती कराया. डाक्टरों ने बताया कि वह 75 फीसदी जल चुकी है.
उस समय प्रदेश के डीजीपी ओ.पी. सिंह आगरा में ताजमहल के पास स्थित अमर विलास होटल में आगरा रेंज के अधिकारियों के साथ मीटिंग में थे. वहां मौजूद अधिकारियों को सरेराह एक छात्रा को जिंदा जलाने की घटना की सूचना मिली तो पुलिस अधिकारियों के होश उड़ गए.
एडीजी अजय आनंद, डीआईजी लव कुमार और एसएसपी अमित पाठक अस्पताल पहुंच गए. उधर घटनास्थल पर भी थाना पुलिस पहुंच गई थी. पुलिस टीम ने घटनास्थल से प्लास्टिक की एक खाली बोतल व लाइटर जब्त किया.
पुलिस अधिकारियों ने संजलि से बात कर पूरे घटनाक्रम की जानकारी ली. झुलसी अवस्था में वह रुकरुक कर बात कर पा रही थी. उस ने बताया कि 15 दिन पहले 2 युवकों ने उस का पीछा किया था. वह उन्हें नहीं जानती.
पुलिस को संजलि के घर वालों से पता जला कि 23 नवंबर को संजलि के पिता हरेंद्र पर मलपुरा नहर के पास 2 अज्ञात लोगों ने हमला किया था, जिस में हरेंद्र को मामूली चोटें आई थीं. लेकिन उन्होंने इस की थाने में रिपोर्ट दर्ज नहीं की गई थी. मारपीट करने वाले कौन थे, हरेंद्र पहचान नहीं पाए थे.
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कुछ नहीं समझ पा रही थी पुलिस
पुलिस की एक टीम मौके पर जांचपड़ताल करने लगी, जबकि दूसरी टीम हमलावर बाइक सवारों की तलाश में निकल गई. पुलिस पिता पर हमले की कडि़यों को बेटी के साथ हुई घटना से जोड़ कर देखने का प्रयास कर रही थी. साथ ही यह भी पता लगाने का प्रयास कर रही थी कि कुछ दिन पूर्व संजलि के साथ छेड़छाड़ करने वाले 2 युवक कौन थे.
15 साल की किशोरी की किसी से क्या दुश्मनी हो सकती है, जिस की वजह से उसे जिंदा जलाने की कोशिश की गई. पुलिस ने संजलि की सहेलियों व स्कूल स्टाफ से इस संबंध में पूछताछ की. पुलिस अनुमान लगा रही थी कि आरोपी संजलि के परिचित हो सकते हैं. ऐसा इसलिए माना जा रहा था कि दोनों ने हैलमेट लगाया था, ऐसा उन्होंने पहचान छिपाने के लिए किया होगा.
जिस स्थान पर वारदात हुई, वह घर से करीब आधा किलोमीटर पहले और स्कूल से एक किलोमीटर दूरी पर था. माना यह भी जा रहा था कि हमलावर स्कूल से ही अंजलि के पीछे लगे होंगे. संजलि और उस के परिवार वालों से पूछताछ के बाद भी पुलिस को ऐसा कोई क्लू नहीं मिला, जिस से घटना का खुलासा हो सके.
गांव के लोग भी कुछ नहीं बता रहे थे, न पुलिस को ऐसा कोई व्यक्ति मिल रहा था जिस ने हमलावरों को भागते हुए देखा हो. पुलिस ने अज्ञात हमलावरों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली.
गंभीर रूप से जली किशोरी की गंभीर हालत को देखते हुए उसी दिन शाम 6 बजे उसे दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल रेफर कर दिया गया. सफदरजंग अस्पताल के डाक्टर संजलि के इलाज में जुट गए. उन का कहना था कि 48 घंटे गुजर जाने के बाद ही उस की हालत के बारे में कुछ कहा जा सकता है.
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आखिर 36 घंटे बाद 19 नवंबर की रात डेढ़ बजे संजलि जिंदगी की जंग हार गई. उसी दिन पोस्टमार्टम के बाद उस का शव शाम साढ़े 5 बजे उस के गांव लालऊ पहुंचा. संजलि जब दिल्ली के अस्पताल में जिंदगी और मौत की लड़ाई लड़ रही थी, उस समय कई सामाजिक संगठनों व ग्रामीणों ने हमलावरों की गिरफ्तारी व पीडि़ता को आर्थिक सहायता दिए जाने की मांग को ले कर जुलूस भी निकाले थे. इसलिए संजलि के शव के साथ ही बड़ी संख्या में पुलिस फोर्स उस के गांव पहुंच गई थी.