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डा. गौरव की हत्या की खबर जब अखबारों में छपी तो कानपुर, उन्नाव में सनसनी फैल गई. सैकड़ों की संख्या में लोग पोस्टमार्टम हाउस पहुंच गए. क्षेत्रीय विधायक अभिजीत सिंह सांगा भी पोस्टमार्टम हाउस पहुंचे और डाक्टर की पत्नी प्रियंका से बातचीत कर उन्हें धैर्य बंधाया तथा हरसंभव मदद का आश्वासन दिया.

हत्यारोपी मुदित श्रीवास्तव की पत्नी नेहा श्रीवास्तव को जब पति की करतूतों का पता चला तो उसे यकीन ही नहीं हुआ. नेहा की 5 साल की बेटी है, जिस का कटे हुए तालू का लखनऊ में इलाज चल रहा है. घटना के समय वह लखनऊ में ही थी. उस ने सोचा भी नहीं था कि मुदित ऐसा कर सकता है.

चूंकि मुदित ने हत्या का जुर्म कुबूल कर लिया था, अत: इंसपेक्टर रत्नेश सिंह ने मृतक के पिता डा. प्रबल प्रताप सिंह की तहरीर पर भादंवि की धारा 302/201 के तहत मुदित श्रीवास्तव के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली तथा उसे विधिसम्मत गिरफ्तार कर लिया. पुलिस जांच में दोस्ती में विश्वासघात की एक सनसनीखेज कहानी प्रकाश में आई.

परिवार की इकलौती औलाद था डा. गौरव...

उन्नाव शहर की आवास विकास कालोनी एक बड़ी आबादी वाला क्षेत्र है. इसी कालोनी के मकान नंबर सी 46 में डा. प्रबल प्रताप सिंह अपने परिवार के साथ रहते थे. उन के परिवार में पत्नी आशा सिंह के अलावा एकमात्र बेटा गौरव प्रताप सिंह था. डा. प्रबल प्रताप सिंह होम्योपैथिक डाक्टर थे. उन की पत्नी आशा सिंह भी डाक्टर थीं. पतिपत्नी दोनों शिकोहाबाद के सरकारी अस्पताल में डाक्टर थे. डा. प्रबल प्रताप सिंह प्रतिष्ठित व्यक्ति थे. उन की आर्थिक स्थिति मजबूत थी. उन्नाव के अलावा शिकोहाबाद में भी उन का निजी मकान था.

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