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तलाक के बाद डा. रुचि बरेली में पिता के मकान में रहने लगी. वहां उन्होंने अपना क्लीनिक खोल लिया. इधर डा. गौरव पत्नी से तलाक के बाद तनहा जिंदगी बिताने लगे. उन की शराब की लत भी बढ़ गई. डा. गौरव के कई शराबी दोस्त थे. इन्हीं में एक था मुदित श्रीवास्तव. मुदित श्रीवास्तव संपन्न परिवार का था. उस के पिता मिथलेश श्रीवास्तव सिविल लाइंस उन्नाव में रहते थे.

मिथलेश के 3 बेटे मनीष, मोहित व मुदित थे. मनीष दिल्ली में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) में कार्यरत था और परिवार सहित वहीं रहता था. जबकि मोहित, अमेरिका (शिकागो) में इंजीनियर है. सब से छोटा मुदित वायुसेना में सार्जेंट पद पर लुधियाना (पंजाब) में तैनात था. घर पर मिथलेश श्रीवास्तव पत्नी के साथ रहते थे. वह फजलगंज (कानपुर) में एक फैक्ट्री में कार्यरत थे.

मुदित श्रीवास्तव से डा. गौरव की दोस्ती उन के मित्र अनिल के माध्यम से हुई थी. चूंकि मुदित खानेपीने का शौकीन था. सो जल्दी ही दोनों के बीच गहरी दोस्ती हो गई. डा. गौरव उसे अपने भाई जैसा मानने लगे और हर बात उस से साझा करने लगे. मुदित उन दिनों लुधियाना (पंजाब) में तैनात था. वह जब भी छुट्ïटी पर घर आता तो डा. गौरव के साथ ही रहता. उसी के साथ हर शाम महफिल भी जमती. महफिल का खर्च डा. गौरव ही करते थे.

एक रोज ड्रिंक्स के दौरान डा गौरव ने मुदित श्रीवास्तव से एक कार खरीदने की इच्छा जाहिर की. इस पर उस ने कहा कि यदि वह उस की एयर फोर्स कैंटीन से कार खरीदेगा तो उसे लगभग 2 लाख का फायदा होगा. डा. गौरव के राजी होने पर मुदित ने लुधियाना की एयर फोर्स कैंटीन से क्रेटा कार खरीदवा दी. यह क्रेटा कार थी तो मुदित के नाम लेकिन पैसा डा. गौरव ने दिया था और डा. गौरव ही चलाते थे. इस कार से मुदित और गौरव लद्ïदाख तक घूम आए थे.

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