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किस ने की आलोक की हत्या

पहली नवंबर, 2023 थाना सूरजपुर (गौतम बुद्ध नगर) पुलिस को दोपहर में किसी अज्ञात व्यक्ति से सूचना मिली कि मिग्सन ग्रीन सोसायटी के पास ग्रीन बेल्ट (ग्रेटर नोएडा में) एक व्यक्ति की लाश पड़ी हुई है.

थाना सूरजपुर के एसआई हरेंद्र सिंह सूचना मिलते ही रजिस्टर में अपनी रवानगी दर्ज कर के मौके पर तफ्तीश के लिए रवाना हो गए. घटनास्थल पर भीड़ जमा थी. पुलिस को देख कर भीड़ इधरउधर हो गई. एसआई हरेंद्र सिंह उस जगह आए, जहां युवक की लाश पड़ी हुई थी.

युवक का सिर फटा हुआ था, जिस से उस के कपड़े खून से लथपथ हो चुके थे. लग रहा था कि उस के सिर पर कोई भारी चीज का वार किया गया है.

युवक की तलाशी ली गई, लेकिन उस की जेब में ऐसी कोई चीज नहीं मिली, जिस से यह मालूम हो सकता कि यह कौन है, कहां रहता है. उस को भीड़ में भी कोई नहीं पहचान पाया. एसआई हरेंद्र सिंह ने उच्चाधिकारियों को इस लाश की जानकारी दे दी और फोरैंसिक टीम को घटनास्थल पर बुलवा लिया.

थोड़ी देर में ही एडिशनल डीसीपी (सेंट्रल नोएडा) हृदेश कठेरिया घटनास्थल पर आ गए. उन्होंने युवक की लाश का बारीकी से मुआयना किया. फोरैंसिक टीम भी आ गई थी, वह अपने काम में जुट गई थी.

अभी जांच का काम चल ही रहा था कि एक युवक भीड़ को चीरता हुआ घटनास्थल पर आ गया. युवक ने लाश को गौर से देखा तो दहाड़ें मार कर रोने लगा.

रामवीर ने भाभी पर क्यों जताया हत्या का शक

एसआई हरेंद्र सिंह उस के पास आ गए. युवक के कंधे पर उन्होंने सहानुभूति से हाथ रख कर उस क ा कंधा थपथपा कर सांत्वना देने की कोशिश करते हुए पूछा, ”तुम्हारा क्या लगता था यह?’’

”साहब, मेरा छोटा भाई है यह.’’ युवक ने अपने आंसू पोंछते हुए कहा, ”इस का नाम आलोक सिंह है और मेरा नाम रामवीर. मैं ने कल शाम को थाना सूरजपुर में इस की गुमशुदगी लिखवाई थी साहब. वहां पर इस का फोटो भी जमा करवाया था मैं ने.’’

”यह मेरे संज्ञान में नहीं है. मैं तो इस युवक की शिनाख्त के लिए परेशान था कि तुम ने मेरी टेंशन दूर कर दी.’’

”मैं आज फिर से थाना सूरजपुर गया था, यह मालूम करने कि मेरे भाई का कोई पता लगा या नहीं, वहां ड्यूटी अफसर ने मुझे बताया कि मिग्सन ग्रीन सोसायटी की ग्रीन बेल्ट (ग्रेटर नोएडा) में एक युवक की लाश मिली है, साहब वहां तफ्तीश के लिए गए हैं. तब यह देखने कि लाश किस की है, मैं यहां आ गया. लाश मेरे भाई की है साहब.’’

”क्या नाम बताया तुम ने अपने भाई का?’’

”आलोक सिंह, साहब!’’

”यह कब से लापता था?’’

”29 नवंबर, 2023 को यह रोज की तरह अपने काम पर गया था साहब. शाम को यह घर नहीं पहुंचा. हम सभी रात भर इस के घर आने का इंतजार करते रहे. 30 नवंबर को जब यह शाम तक भी नहीं लौटा तो मैं ने इस की गुमशुदगी थाने में दर्ज करवा दी थी.’’

”तुम्हारा नाम क्या है?’’

”रामवीर सिंह मूलरूप से हमारे पिता महेंद्र सिंह गांव कोकामऊ, माल्लवा, हरदोई (उत्तर प्रदेश) के निवासी हैं. वर्तमान में भाई आलोक सिंह देवला गांव, पक्षी विहार, इंडेन गैस गोदाम के पास अनुरुद्र के मकान में किराए पर रह रहा है. यह थाना क्षेत्र सूरजपुर में स्थित है.’’

एसआई हरेंद्र सिंह ने पूछा, ”तुम्हारे भाई की हत्या हुई है. तुम्हें किसी पर संदेह है. ऐसा व्यक्ति जो तुम्हारे भाई आलोक सिंह का दुश्मन रहा हो?’’

”साहब, घर की इज्जत हर एक को प्यारी होती है, लेकिन जब कोई घर की इज्जत ही खराब करना चाहे तो चुप रहने में कोई फायदा नहीं होगा.’’ रामवीर बहुत गंभीर नजर आने लगा, ”मेरे भाई आलोक सिंह की हत्या में इस की पत्नी प्रियंका का हाथ है. मुझे पक्का विश्वास है कि उसी ने अपने प्रेमी रवि के साथ मिल कर मेरे भाई की हत्या करवाई है.’’

”ओह!’’ एसआई हरेंद्र सिंह हैरानी से बोले, ”यानी तुम्हारे भाई की पत्नी अच्छे चालचलन वाली नहीं है.’’

”बेशक उस ने कभी अपने पति आलोक सिंह की इज्जत का खयाल नहीं किया. वह भाई के पीठ पीछे रवि नाम के युवक से इश्क लड़ा रही थी. उस ने आलोक पर पता नहीं साहब क्या जादू किया हुआ था कि वह रवि के ऊपर कभी शक नहीं करता था.

”रवि उस की मौजूदगी में और गैरमौजूदगी में बेधड़क घर पर आया जाया करता था. मैं ने देखा तो नहीं, लेकिन प्रियंका और रवि के हावभाव से मैं विश्वास के साथ कह सकता हूं कि दोनों में अनैतिक संबंध बने हुए हैं. यह बात मैं ने नोट की है साहब.’’

”बोलो,’’ एसआई ने उस के चेहरे पर नजरें जमा कर पूछा, ”यह रवि रहता कहां है?’’

”रवि यहीं मिग्सन ग्रीन सोसायटी, ग्रेटर नोएडा में रहता है. उस का मूल निवास, पहाड़पुर, थाना अनूपशहर (बुलंदशहर) है.’’

एसआई हरेंद्र सिंह ने यह एड्रैस अपनी डायरी में नोट कर लिया और वहां मौजूद एडिशनल डीसीपी (सेंट्रल नोएडा) हृदेश कठेरिया को मृतक के भाई रामवीर से मिली जानकारी से अवगत करा दिया.

एडिशनल डीसीपी हृदेश कठेरिया ने निर्देश दिया, ”आप रामवीर की बात को ध्यान में रख कर अपनी काररवाई करिए. आलोक सिंह की पत्नी प्रियंका को पूछताछ के दायरे में लाइए. यदि रामवीर की बातों में सच्चाई है तो प्रियंका अवश्य टूट जाएगी.’’

”ठीक है सर, मैं पहला काम प्रियंका से पूछताछ का ही करूंगा.’’

एडिशनल डीसीपी कुछ निर्देश दे कर वहां से चले गए. तब एसआई ने अपनी कागजी काररवाई पूरी करने के बाद उस लाश को पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भिजवा दिया. फिर वह रामवीर को साथ ले कर थाना सूरजपुर के लिए रवाना हो गए.

दूसरे प्रेमी से पुलिस को मिली नई जानकारी

आलोक सिंह की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आ गई थी. उस में यह कहा गया था कि सिर पर लगी गंभीर चोट और गला दबाए जाने से आलोक सिंह की जान गई थी.

यह हत्या का मामला था. एसआई हरेंद्र सिंह ने रामवीर सिंह को बुलवा कर उस की लिखित तहरीर के आधार पर यह केस भादंवि की धारा 302, 201, 120बी के तहत दर्ज किया.

रामवीर सिंह ने अपनी तहरीर में छोटे भाई आलोक सिंह की हत्या का दोष आलोक की पत्नी प्रियंका और उस के प्रेमी रवि तथा रवि के साथ मैकेनिक का काम करने वाले उस के दोस्त बबलू उर्फ अशरफ अली, निवासी बांदोली, जिला बुलंदशहर के ऊपर लगाया. रामवीर सिंह की लिखित तहरीर के आधार पर आरोपियों को गिरफ्तार करने के लिए एडिशनल डीसीपी हृदेश कठेरिया ने एक पुलिस टीम का गठन कर दिया. इस का नेतृत्व एसआई हरेंद्र सिंह को दिया गया था.

थाना सूरजपुर के तत्कालिन एसएचओ अवधेश प्रताप सिंह पूरे मामले पर नजर रखे थे. एसआई जितेंद्र चौहान और हरेंद्र सिंह ने रवि और बबलू उर्फ अशरफ अली को गिरफ्तार करने के लिए उन के घरों पर दबिश दी तो दोनों घर पर ही मिल गए. दोनों को पुलिस थाना सूरजपुर ले आई.

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