कहानी के बाकी भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

नींद की गोलियां ले कर आया था राहुल...

योजना के मुताबिक, 22 फरवरी, 2023 को राहुल सिंह अमेठी से ट्रेन से चल कर गाडरवारा रेलवे स्टेशन उतरा और यहां से बस पकड़ कर 25 किलोमीटर दूर साईंखेड़ा पहुंच गया. राहुल अपने साथ नींद की गोलियां अमेठी से ही ले कर आया था. वह खुशबू के घर आया और कुछ देर रुक कर खुशबू को नींद की गोलियां दे कर चला गया. खुशबू ने खाने में नींद की गोलियां मिला कर अपनी मां को खिला दीं. जब मां खाना खा कर सो गई तो फोन कर के उस ने राहुल को घर बुला लिया. जैसे ही राहुल खुशबू के घर आया तो शिखा उस समय नहाने की तैयारी कर रही थी. मौका पा कर खुशबू और राहुल ने शिखा के साथ मारपीट करनी शुरू कर दी.

पहले राहुल और खुशबू ने उस के सिर पर पत्थर मार कर उसे बेहोश कर दिया. फिर शिखा को रस्सी से बांध कर घर के बाथरूम में ले गए, जहां पास में रखी सीमेंट की टंकी के भारीभरकम ढक्कन से शिखा के सिर पर वार कर दिया. शिखा जिंदा न बच जाए, यह सोच कर खुशबू किचन से सब्जी काटने वाला चाकू उठा कर ले आई. इस के बाद खुशबू और राहुल दोनों ने मिल कर बारीबारी से शिखा के सिर, गले व शरीर पर तब तक प्रहार किए, जब तक उस की मौत नहीं हो गई.

शिखा को मारने के दौरान दोनों के कपड़ों पर खून के निशान पड़ गए थे. दोनों ने अपने कपड़े बदले और हत्या में प्रयुक्त चाकू और पत्थरों को एक थैले में ले कर राहुल वहां से भाग निकला, जबकि खुशबू ऊपरी मंजिल पर जा कर मां के बगल में सो गई. शिखा की हत्या करने के बाद राहुल अमेठी के लिए रवाना हो गया. इधर जब मां ने शिखा को बेहोशी की हालत में खून से लथपथ देखा तो खुशबू को आवाज लगाई. खुशबू ने आ कर रोनेधोने का ड्रामा किया और 108 नंबर डायल कर एंबुलेंस बुला ली. खुशबू एंबुलेंस में मां के साथ शिखा को साईंखेड़ा के विवेकानंद सिविल हौस्पिटल ले गई, मगर मां को महसूस तक नहीं होने दिया कि शिखा की हत्या में उस का हाथ है.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 12 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...