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हर रोज सुबह को बीना के सासससुर रेस्टोरेंट पर चले जाते थे. थोड़ी देर बाद देवर सुनील भी रेस्टोरेंट पर चला जाता था. एंजल के स्कूल का समय भी वही होता था. उधर सुधीर भी अपने काम के लिए सुबह को निकलता था तो शाम को वापस लौटता था.  सब के जाने के बाद बीना घर में अकेली रह जाती थी. यह समय उस के लिए उपयुक्त था, इसलिए अगले दिन ही उस ने फोन कर के मृदुल को घर बुला लिया.

बातचीत हुई तो मृदुल बीना से बोला, ‘‘एक बार फिर सोच लो, तुम्हें बहुत कठिन परीक्षा से गुजरना होगा जिस में तुम्हें काफी कष्ट सहना पड़ेगा.’’

‘‘मैं अपने पति के लिए किसी भी परीक्षा से गुजरने को तैयार हूं. हर कष्ट सहूंगी मैं. आप बताइए मुझे क्या करना होगा?’’

‘‘दरअसल, मैं काला जादू करूंगा. इस में थोड़ी तकलीफ तो होती है, पर रिजल्ट एक दम परफैक्ट आता है. अगर थोड़ा कष्ट सह सकती हो, तो कोई परेशानी ही नहीं है.’’

‘‘बताइए तो मुझे करना क्या होगा?’’

मृदुल ने कोई जवाब देने के बजाए पूरे मकान में घूम कर देखा. तभी उसे किचन में काफी ऊपर लगा लोहे का एक जंगला नजर आ गया. उसे देख कर वह बीना से बोला, ‘‘मैं इस जंगले में रस्सी बांध कर उस के दूसरे सिरे में फांसी का फंदा बनाऊंगा. वह फंदा गले में डाल कर तुम्हे स्टूल पर खड़ा होना पड़ेगा. फिर मैं तंत्रमंत्र से अपना काला जादू शुरू कर दूंगा. जब मंत्र पूरे हो जाएंगे तो तुम्हें यह कह कर पैर से स्टूल गिरा देना होगा कि मेरे पति के जीवन में कोई प्रेमिका न रहे. स्टूल गिरने से फांसी का फंदा तुम्हारे गले में कस जाएगा और तुम्हें तकलीफ होने लगेगी.’’

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