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मकान मालिक के पास नीरज शर्मा और उस की पत्नी अनीता का फोन नंबर तो था, लेकिन उस के घरपरिवार के बारे में उसे कुछ पता नहीं था. यह भी पता नहीं था कि वह नौकरी कहां करता था. तब पुलिस ने उस से पूछा कि उस ने उसे अपना मकान किस के कहने पर किराए पर दिया था. इस पर प्रदीप ने बताया कि उस ने पड़ोस में रहने वाले श्यामवीर के कहने पर अपना मकान किराए पर दिया था. वह भी फिरोजाबाद का ही रहने वाला था. शायद उसे नीरज के बारे में पता होगा. क्योंकि उस ने उसी की जिम्मेदारी पर अपना कमरा किराए पर दिया था.

श्यामवीर के बारे में पता किया गया तो वह गांव गया हुआ था. मकान मालिक से नीरज और अनीता के फोन नंबर मिल गए थे. लेकिन जब उन नंबरों पर फोन किया गया तो वे बंद थे. शायद उन्हें पता था कि मोबाइल फोन से पुलिस उन तक पहुंच सकती है, इसलिए उन्होंने फोन बंद कर दिए थे.

जब थानाप्रभारी गोरखनाथ यादव को नीरज और अनीता तक पहुंचने का कोई भी सूत्र नहीं मिला तो उन्होंने फोरेंसिक टीम बुला कर जरूरी साक्ष्य जुटाए और लाश को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया. पोस्टमार्टम के बाद 2-3 दिनों तक लाश शिनाख्त के लिए रखी रही, लेकिन सड़ीगली लाश ज्यादा दिनों तक रखी भी नहीं जा सकती थी, इसलिए उस लावारिस लाश का अंतिम संस्कार करवा दिया गया.

जांच की जिम्मेदारी मिलते ही भानुप्रताप सिंह ने नीरज और अनीता के मोबाइल नंबर सर्विलांस पर लगवा दिए थे. लेकिन उन के फोन बंद होने की वजह से उन के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल रही थी. श्यामवीर गांव से लौट कर आया तो उस से नीरज के घर का पता मिल गया. तब लोनी पुलिस ने फिरोजाबाद जा कर स्थानीय पुलिस की मदद से उस के घर छापा मारा. लेकिन वे दोनों वहां भी नहीं थे. वहां पता चला कि वे वहां आए तो थे, लेकिन कुछ दिनों बाद ही चले गए थे. वहां से जाने के बाद वह कहां है, यह किसी को पता नहीं था.

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