24नवंबर, 2022 को शाम करीब साढ़े 4 बज रहे होंगे, जब कमलजीत सिंह खेत से और उन की पत्नी जस्सू कौर स्कूल से घर लौटीं. घर में गहरा सन्नाटा पसरा हुआ था. शमिंदर सिंह, जो कमलजीत सिंह का बेटा था, सिर झुकाए परेशान हाल में कुरसी पर बैठा कुछ सोच रहा था. उस की तंद्रा तब भंग हुई थी, जब किसी के चलने की आहट उस के कान के परदे से टकराई थी. सिर उठा कर देखा तो सामने मांबाप खड़े थे.
‘‘बात क्या है बेटा, बड़े परेशान नजर आ रहे हो. सब ठीक तो है न घर में?’’ सवाल करते हुए कमलजीत ने बेटे से पूछा.
‘‘पापा...आप? आप कब आए? मुझे तो आप दोनों के आने का पता ही नहीं चला.’’ टूटेटूटे शब्दों में शमिंदर ने जवाब दिया था.
‘‘पहले मैं फिर तुम्हारी मां घर में दाखिल हुई थी. घर का दरवाजा भी खुला पड़ा था. बल्कि तुम्हारी मां ने तुम्हें और बेटी जसपिंदर को आवाज भी लगाई थी लेकिन न तो तुम ने कोई जवाब दिया और न ही जसपिंदर ने. अंदर आए तो देखा कि तुम यहां सिर झुकाए बैठे किसी गहरी सोच में डूबे हुए हो. सब ठीक तो है न बेटा?’’
‘‘जसपिंदर कहां है पुत्तर, कहीं दिख नहीं रही है?’’ इस बार जस्सू कौर ने बेटे से सवाल किया था.
‘‘आप बैठिए, आप दोनों के लिए मैं पानी ले कर आ रहा हूं.’’
‘‘ठीक है बेटा, पानी रहने दो. उसे बुला कर ले आओ. कहां है वो?’’ इस बार कमलजीत ने बोले. उन की आवाज में कुछ बेचैनी शामिल थी.
‘‘हां बेटा, कहां है वो? तुम कुछ बताते क्यों नहीं हो?’’ जस्सू ने फिर सवाल किया बेटे से.