मातापिता परमप्रीत की करना चाहते थे दूसरी जगह शादी
बात घटना से करीब महीना भर पहले की है. परमप्रीत से दूरी बनाए रखने के लिए जसपिंदर के मांबाप ने बेटी के हाथ पीले करने के फैसला कर लिया था और उस के लिए अच्छे वर की तलाश में जुट भी गए थे. उस से पहले उन्होंने बेटी को शादी के उपहार में देने के लिए धीरेधीरे सोने के गहने खरीद कर घर में रखने शुरू कर दिए थे. उन्हें क्या पता थी कि एक दिन उन की ही बेटी उन के मुंह पर कालिख पोत कर अपने यार के साथ घर से फरार हो जाएगी.
बहरहाल, इधर जब से जसपिंदर ने अपनी शादी की बात सुनी थी, वह बुरी तरह परेशान हो गई थी. वह परम के अलावा किसी और युवक से शादी नहीं करना चाहती थी. परमप्रीत ही उस का भूत, भविष्य और वर्तमान था.
आखिर उस ने एक दिन परम से पूछ ही लिया, ‘‘आखिर हम कब तक एकदूसरे से छिपछिप कर मिलते रहेंगे परम? तुम हमारी शादी के बारे में कुछ सोचते क्यों नहीं? क्या तुम यही चाहते हो कि मेरे मांबाप किसी और से मेरी शादी कर दें?’’
‘‘अरे, नहीं.’’ परमप्रीत तड़प कर बोला, ‘‘मेरे जीते जी ऐसा नहीं हो सकता. तुम सिर्फ मेरी हो, मेरी ही रहोगी किसी और ने तुम्हारी तरफ हाथ बढ़ाया या तुम ने किसी और की होने की सोची तो जान से मान दूंगा तुम्हें भी और उसे भी जो तुम्हें पाने की कोशिश करेगा.’’
‘‘तुम कुछ नहीं कर सकते हो, बस सिर्फ तुम डींगे हांकते रहना और उधर मांबाप दूसरे के साथ मेरी डोली विदा कर देंगे.’’