कहानी के बाकी भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

घर से निकलतेनिकलते शमिंदर बहन जसपिंदर से बोल कर गया था कि वह एक जरूरी काम से घर से शहर की ओर जा रहा है. उसे घर लौटते हुए दोपहर के 2 या 3 बज सकते हैं, तब तक मम्मी भी स्कूल से घर आ जाएंगी. तू इधरउधर कहीं मत जाना.

जसपिंदर कौर को पता था घर पर कोई नहीं है, घर पूरी तरह खाली है. अगर सही समय पर नहीं निकली तो कोई भी आ सकता है और भागने का प्लान मिस हो सकता है, इसलिए उस ने 11 बजे के करीब परमप्रीत को फोन किया कि तुम कहां हो, मैं आ रही हूं. उस ने यह नहीं बताया कि उस के पास 12 तोले सोने के गहने और 20 हजार रुपए कैश भी है. वह तो इन जेवरातों और रुपए से अपने जीवन के सुख प्रेमी के साथ खरीदने निकली थी.

बहरहाल, काल रिसीव करते हुए परम ने जसपिंदर को सुधार के जगरांव स्थित अखाड़ा पुल के पास पहुंचने को कहा. जसपिंदर उस के बताए स्थान पर 2 बजे के करीब पहुंची तो परम पोलो कार लिए उस के वहां पहुंचने का बेसब्री से इंतजार कर रहा था.

परमप्रीत था केवल तन का प्यासा भौंरा

जसपिंदर के पहुंचते ही परम ने कार का आगे का दरवाजा खोल दिया और वह उस में बैठ गई थी. कार में जसपिंदर के बैठते ही परम ने कार रायकोट की ओर मोड़ ली. परम को देख कर वह बहुत खुश थी.

पीछे मुड़ कर उस ने देखा तो कार की पिछली सीट पर परम का जिगरी दोस्त एकमप्रीत सिंह बैठा था. वह परमप्रीत का हमराज था. जसपिंदर से प्यार वाली बात उस ने बहुत पहले ही शेयर कर दी थी.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD48USD10
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 12 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD100USD79
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...