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निर्मला देवी दिल्ली में स्थित लोकनायक जयप्रकाश नारायण अस्पताल में नर्स थी. वह मूल रूप से हरियाणा के सोनीपत जिले के बरौना गांव की रहने वाली थी. पिता की मौत हो चुकी थी. घर पर मां और भाईबहन थे. उन से मिलने वह हर शनिवार दिल्ली से अपने गांव चली जाती थी. लेकिन 20 सितंबर, 2014 को वह गांव नहीं पहुंची तो छोटे भाई आनंद कुमार ने निर्मला को फोन किया. आनंद कुमार खरखौदा में स्थित एक बैंक में औफिसर हैं. आनंद कुमार ने उस का फोन नंबर मिलाया लेकिन घंटी बजने के बाद भी निर्मला ने फोन नहीं उठाया.

आनंद कुमार ने सोचा कि वह शायद किसी काम में व्यस्त होगी इसलिए उस ने थोड़ी देर बाद बहन को फिर फोन किया. इस बार भी निर्मला के फोन की घंटी बज रही थी लेकिन वह फोन नहीं उठा रही थी. आनंद कुमार ने ऐसा कई बार किया. कई बार फोन करने के बाद भी निर्मला ने फोन नहीं उठाया तो आनंद ने यह बात अपनी मां को बताई. बेटी फोन क्यों नहीं उठा रही, यह सोच कर मां भी परेशान हो उठीं. शाम तक निर्मला के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली तो घर के सभी लोग चिंतित हो गए.

निर्मला लोकनायक जयप्रकाश नारायण अस्पताल परिसर में बने जिस फ्लैट में रहती थी, वह आनंद कुमार ने देखा ही था, इसलिए बहन को देखने के लिए वह अपने दूसरे बहनोई को ले कर रात साढ़े 9 बजे के करीब उस के फ्लैट नंबर 108 पर पहुंच गए. यह फ्लैट तीसरी मंजिल पर स्थित था. फ्लैट के बाहर जो लोहे का दरवाजा लगा हुआ था उस की कुंडी बाहर से बंद थी.

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