ज्योति और मनीष एकदूसरे को सच्चा प्यार करते थे. उन के घर वाले नहीं माने तो राज्य महिला आयोग ने आगे कर उन की शादी की जिम्मेदारी पूरी की. यह एक अच्छी पहल है...    

14 मई, 2018 की बात है. दोपहर का समय था. तेज धूप पड़ रही थी. जयपुर में बनीपार्क स्थित ग्रामीण महिला सलाह सुरक्षा केंद्र की प्रभारी निशा सिद्धू अपने चैंबर में एक केस के सिलसिले में सहकर्मियों से चर्चा कर रही थीं. तभी एक युवती इस केंद्र पर पहुंची. उस ने केंद्र में बाहर के कमरे में बैठी एक महिला से कहा, ‘‘मैडम, मुझे इंचार्ज मैडम से मिलना है.’’  उस महिला ने युवती पर एक नजर दौड़ाई. करीब 19-20 साल की वह युवती घबराई हुई और परेशान लग रही थी. उस ने चुनरी से अपना चेहरा ढका हुआ था. वह कुरता और सलवार पहने हुए थी. भीषण गरमी में आने से उस के बदन से पसीना टपक रहा था.

महिला ने उस युवती को एक कुरसी पर बैठने का इशारा किया. वह कुरसी पर बैठ गई. अपना कुछ काम निपटाने के बाद वह महिला अपनी सीट से उठी और उस युवती से बोली, ‘‘आओ मेरे साथ, मैं तुम्हें इंचार्ज मैडम से मिलवा देती हूं.’’ वह युवती जल्दी से उठ खड़ी हुई और उस महिला के साथ चल दी. वे दोनों दूसरे कमरे में पहुंची. वहां एक बड़ी सी टेबल के सामने एक रौबदार महिला बैठी थी. टेबल के दूसरी तरफ 3-4 अन्य महिलाएं भी कुरसियों पर बैठी थीं.

साथ आई महिला ने इशारा कर के युवती को बताया कि वही इस केंद्र की इंचार्ज हैं. इन का नाम निशा सिद्धू हैं. युवती ने इंचार्ज को अभिवादन किया. युवती का अभिवादन स्वीकार करते हुए इंचार्ज ने युवती को कुरसी पर बैठने का इशारा किया. फिर पूछा, ‘‘तुम कौन हो और कहां से आई हो?’’

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