रूपा विशेष को अपना दोस्त भी मानती थी और शुभचिंतक भी. उस ने इस बारे में विशेष को भी बताया. विशेष पहले ही कुढ़ा बैठा था. उस ने रूपा की हां में हां तो मिलाई पर अंदर ही अंदर जलता रहा. विशेष चाहता था कि रूपा की शादी किसी से भी न हो ताकि उसे और उस के घर वालों को यह पछतावा रहे कि विशेष से रिश्ता न कर के उन्होंने बहुत बड़ी भूल की है.
विशेष ने किसी तरह सुशील का पता लगाया और उस से संपर्क कर के रूपा के पुराने दिनों की बातें बता कर उसे भड़काने का प्रयास किया. लेकिन उस पर इस का कोई असर नहीं पड़ा.
उधर रूपा ने सुशील के बारे में अपने घर वालों से बात की. जब उन्हें पता लगा कि बेटी विवाह करना चाहती है, तो उन्होंने सुशील के बारे में पता लगाया. लेकिन उन्हें जो जानकारी मिली उसे उन के पैरों तले की जमीन खिसक गई. सुशील न सिर्फ विवाहित था बल्कि एक बच्चे का बाप भी था. यह बात रूपा को पता चली तो उस के सारे सपने टूट कर बिखर गए. वह समझ गई कि सुशील को विवाह की जल्दी क्यों नहीं थी.
दरअसल सुशील शादी के बहाने उसे भावनाओं के जाल में फंसा कर मन बहलाने का साधन बनाना चाहता था. इस झटके ने रूपा को अंदर तक हिला कर रख दिया. रूपा ने सुशील को जम कर खरीखोटी सुनाई और उस से पूरी तरह संपर्क तोड़ दिया. विशेष को इस से बहुत सुकून मिला, जबकि रूपा से अफसोस जता कर वह उस का सच्चा हितैषी होने का ढोंग करता रहा. इसी बीच सुशील का स्थानांतरण बागपत जिले में हो गया.