एक दिन नूरी मोना के घर पहुंचा तो उस ने ऐसे कपड़ों में दरवाजा खोला कि नूरी उसे देखता ही रह गया. उस ने उसे अंदर आने को कहा, लेकिन वह मोना के उस रूप में इस तरह खो गया था कि उस की बात सुनी ही नहीं. उस का मन कर रहा था कि वह मोना को बांहों में भर ले. नूरी की नजरें उस के शरीर पर ही जमी थीं. उस की नजरों का आशय समझ कर मोना मुसकरा उठी.
उस ने नूरी की आंखों के सामने हाथ नचाते हुए कहा, ‘‘कहां खो गए डियर, अंदर भी आओगे या बाहर से इसी तरह ताकते रहोगे?’’
नूरी हड़बड़ा कर बोला, ‘‘सौरी डियर. तुम इस समय कुछ ज्यादा ही खूबसूरत लग रही हो, इसलिए तुम्हें देखता ही रह गया.’’
‘‘मजाक मत करो. लड़कों की आदत का मुझे अच्छी तरह पता है. वह इसी तरह लड़कियों की तारीफ कर के उन की कमजोरी का फायदा उठाना चाहते हैं.’’ मोना ने कहा.
‘‘मैं सच कह रहा हूं मोना. तुम सचमुच बहुत खूबसूरत लग रही हो. एकदम गजब ढा रही हो.’’ अंदर आ कर नूरी ने कहा, ‘‘मोना मेरी बात तुम्हें अजीब जरूर लगेगी, लेकिन सच्चाई यही है कि मेरी तुम्हारे प्रति चाहत बढ़ती जा रही है. मुझे तुम से लगाव सा हो गया है. यह भी कहा जा सकता है कि मुझे तुम से प्यार हो गया है. अगर ऐसा है तो क्या तुम मेरे प्यार को स्वीकार करोगी?’’
मोना ने मुसकराते हुए अपना एक हाथ उस के कंधे पर रख कर कहा, ‘‘नूरी, मुझे भी कुछ ऐसा ही लगता है. तुम भी मुझे बहुत अच्छे लगते हो.’’