पुलिस ने बरामद सिम नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई तो उस में पुलिस को कुछ नंबरों पर संदेह हुआ. पुलिस ने उन नंबरों को सर्विलांस पर लगवा दिया. आखिर सर्विलांस के माध्यम से मिली जानकारी के आधार पर शाहजहांपुर पुलिस की एक टीम दिल्ली पहुंची और थाना कमला मार्केट पुलिस से संपर्क किया. थाना कमला मार्केट के थानाप्रभारी ने एएसआई प्रमोद जोशी को कुछ सिपाहियों के साथ शाहजहां से गई पुलिस टीम की मदद के लिए लगा दिया.
शाहजहांपुर से गई पुलिस टीम ने एएसआई प्रमोद जोशी की मदद से 18 नवंबर को एक आदमी को गिरफ्तार किया. उसे कमला मार्केट थाने ला कर पूछताछ की गई तो उस ने अपना नाम दीपक शर्मा बताया. वह हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के थाना डेरा के रहने वाले रामपाल शर्मा का बेटा था. वह काफी समय से दिल्ली में रह रहा था और सुपारी ले कर हत्याएं करता था. उस पर दिल्ली में हत्या के कई मामले दर्ज थे.
दीपक से पूछताछ के बाद शाहजहांपुर पुलिस के सामने विश्वजीत हत्याकांड की पूरी सच्चाई तो सामने आ गई, लेकिन शाहजहांपुर पुलिस उसे अपने साथ शाहजहांपुर नहीं ला पाई. क्योंकि दिल्ली पुलिस ने अपने यहां दर्ज एक मामले में उसे अदालत में पेश किया तो अदालत ने उसे जेल भेज दिया. पुलिस दीपक को भले ही अपने साथ नहीं ला पाई थी, लेकिन उस ने उन लोगों के नाम पुलिस को बता दिए थे, जिन्होंने विश्वजीत की हत्या कराई थी. वे दोनों कोई और नहीं, विश्वजीत के रैनबसेरा में सोने वाले उस के दोस्त नूरी और हामिद थे. पुलिस को दीपक से शाहजहांपुर का उन का पता भी मिल गया था.