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28 नवंबर को दोपहर 12 बजे के करीब अपहर्त्ताओं का फोन फिर आया. उन्होंने कहा, ‘‘पैसे ले कर हजरत निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन पहुंचो. वहां से 5 बजे बल्लभगढ़ जाने वाली ट्रेन पकड़ो. 5 बजे के बाद हम फिर फोन करेंगे.’’

नरेंद्र ने यह जानकारी पुलिस को दी तो सादा कपड़ों में पुलिस भी उस के साथ हो गई. पुलिस ने एक बैग में नोटों के बराबर कागज की गड्डियां रख कर नरेंद्र को दे दीं. बैग ले कर वे लोग हजरत निजामुद्दीन स्टेशन से बल्लभगढ़ जाने वाली ट्रेन में बैठ गए. जिस मोबाइल पर अपहर्त्ताओं का फोन आया था, वह फोन नरेंद्र ने अपने पास रख लिया था. ट्रेन ओखला स्टेशन से निकली ही थी कि अपहर्त्ताओं का फिर फोन आ गया. अपहर्त्ताओं द्वारा उन्हें फरीदाबाद रेलवे स्टेशन पर उतरने के लिए कहा गया.

फरीदाबाद स्टेशन पर उतरने के 10 मिनट बाद उन्होंने फोन कर के नरेंद्र को बताया कि वह दोबारा ट्रेन पकड़ कर हजरत निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन पहुंच जाएं. नरेंद्र ने ऐसा ही किया. हजरत निजामुद्दीन पहुंचने के बाद फिर अपहर्त्ताओं का फोन आया कि वह ट्रेन पकड़ कर वापस फरीदाबाद आ जाएं. नरेंद्र और पुलिस टीम के जवान फिर से फरीदाबाद के लिए ट्रेन में बैठ गए. वे लोग इधर से उधर भागभाग कर परेशान हो गए थे. लेकिन बच्चे की खातिर वे अपहर्त्ताओं के इशारों पर नाचने को मजबूर थे. ट्रेन में बैठने के 5 मिनट बाद ही नरेंद्र के पास फिर से फोन आया.

इस बार अपहर्त्ताओं ने कहा, ‘‘तुगलकाबाद में पैसों का बैग चलती ट्रेन से नीचे फेंक देना.’’

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