एक दिन बबीता की मुलाकात रविंद्र से हुई तो रविंद्र ने उसे अपने दिल में बसा लिया. इस के बाद वह उस दुकान के आसपास मंडराने लगा, जहां बबीता काम करती थी. धीरेधीरे बबीता का झुकाव भी रविंद्र की ओर हो गया. दोनों ने एकदूसरे को अपने फोन नंबर भी दे दिए. जल्दी ही दोनों एकदूसरे के काफी करीब आ गए. यहां तक कि उन के बीच जिस्मानी संबंध भी कायम हो गए. उन के दिलों में पनपी मोहब्बत पूरे शबाब पर थी.
रविंद्र ने अपने दोस्त अनिल की मदद से अंजलि और बबीता को बदरपुर में ही दूसरी जगह किराए पर मकान दिलवा दिया और वह खुद भी उन दोनों के साथ लिव इन रिलेशन में रहने लगा.
चंद्रा दिल्ली के सराय कालेखां इलाके में रहने वाले रामपथ चौधरी की बेटी थी. रामपथ चौधरी की चंद्रा के अलावा एक बेटा नरेंद्र चौधरी और 2 बेटियां थीं. वह सभी बच्चों की शादी कर चुके थे. नरेंद्र चौधरी का दूध बेचने का धंधा था. करीब 15 साल पहले उन्होंने चंद्रा का ब्याह नोएडा सेक्टर-5 स्थित हरौला गांव में रहने वाले महावीर अवाना के साथ किया था. महावीर अवाना प्रौपर्टी डीलिंग का काम करता था.
शादी के कुछ सालों तक महावीर और चंद्रा के बीच सब कुछ ठीक रहा, लेकिन बाद में उन के बीच मनमुटाव रहने लगा. इस की वजह यह थी कि वह शराब पीने का आदी था. चंद्रा शराब पीने को मना करती तो वह उस के साथ गालीगलौज करता और उस की पिटाई कर देता था. रोजरोज पति की पिटाई से परेशान हो कर चंद्रा अपनी मां के पास आ जाती थी.