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सुरेंद्र ने मोनिका की उस पड़ोसी लडक़ी को अपना फोन नंबर दे कर यह अनुरोध किया कि मोनिका पीजी आएगी तो फोन कर के बता देना. हैरानपरेशान वह पीजी की सीढिय़ां उतरा. नीचे आ कर उस ने तपस्या को फोन मिलाया, “दीदी, मोनिका कल दोपहर से ही कमरे पर नहीं लौटी है.”

“कहां चली गई वो?” परेशानी भरी आवाज थी तपस्या की, “सुरेंद्र, कल मोनिका से तुम्हारी मुलाकात हुई होगी?”

“नहीं दीदी, कल मैं रेस्ट पर था. मैं अलीपुर गया था किसी काम से. कल मैं ने दोपहर को मोनिका से बात की थी और आज उस के साथ बडख़ल झील घूमने का मन बनाया था. मैं ने मोनिका से कहा था कि वह तैयार रहे, लेकिन मैं उस के पीजी गया तो मोनिका के कमरे पर ताला लटका पाया. उस के पड़ोस में रहने वाली लडक़ी का कहना है कि मोनिका कल दोपहर में तैयार हो कर और बैग ले कर कहीं गई थी. अभी तक वापस नहीं लौटी है.”

“मेरा दिल घबरा रहा है सुरेंद्र. मोनिका एकएक बात मुझ से शेयर करती है, वह बैग ले कर कहां गई होगी. मैं ने अपनी रिश्तेदारी में मालूम कर लिया है, वह किसी के यहां नहीं है.”

“फिर मोनिका कहां गई?” सुरेंद्र परेशान हो कर बोला, “दीदी, आप दिल्ली आ जाओ. हम थाने में उस के गुम होने की रिपोर्ट लिखवा देते हैं.”

“मैं शाम तक दिल्ली पहुंच रही हूं सुरेंद्र,” तपस्या ने कहा और फोन काट दिया.

सुरेंद्र अपनी ड्यूटी के लिए थाना मुखर्जी नगर की ओर रवाना हो गया.

मोनिका की दर्ज कराई गुमशुदगी

मोनिका की गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखाने के लिए तपस्या और उस की मां शकुंतला उत्तरपश्चिम दिल्ली के मुखर्जी नगर थाने पहुंचीं. उन्होंने 20 अक्तूबर, 2021 को मोनिका की गुमशुदगी दर्ज करा दी. सुरेंद्र राणा उस वक्त उन के साथ ही था. सुरेंद्र राणा ने तपस्या और उस की मां की मुखर्जी नगर में मोनिका की पीजी में रहने की व्यवस्था कर दी. वहां उन्हें मोनिका के 8 सितंबर को कमरे से जाने की बात पता चली.

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