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दोपहर के सवा 2 बजे के आसपास गौरव घर पहुंचा तो उसे दरवाज खुलवाने की जरूरत नहीं पड़ी, क्योंकि  दरवाजा पहले से ही खुला था. बरामदे में साइकिल खड़ी कर के वह सीधे अपने स्टडी रूम में घुस गया. बैग रख कर कपड़े बदले और किचन की ओर जाते हुए बहन को आवाज दी.

बहन ने कोई जवाब नहीं दिया तो उसे लगा कि नेहा कान में इयरफोन लगा कर गाने सुनते हुए घर के काम कर रही होगी, क्योंकि पानी की मोटर भी चल रही थी और वाशिंग मशीन में कपड़े भी धुले जा रहे थे. उस ने बहन की ओर ध्यान न दे कर प्लेट में दालचावल निकाला और अपने कमरे में जा कर खाने लगा.

गौरव खाना खा कर हाथ धो रहा था, तभी एक गंदा कुत्ता घर में घुस आया. उस के शरीर पर तमाम घाव थे, जिन से खून रिस रहा था. उसे भगाने के लिए गौरव ने डंडा उठाया तो वह भाग कर नेहा के कमरे में घुस गया. उस के पीछेपीछे गौरव कमरे में घुसा तो उस ने वहां जो देखा, उसे कुत्ते का होश ही नहीं रहा. वह बाहर आ कर चीखनेचिल्लाने लगा. उस की चीखपुकार सुन कर मोहल्ले वाले इकट्ठा हो गए.

उन लोगों ने कमरे में जा कर देखा तो पता चला कि उस की बड़ी बहन नेहा छत में लगे कुंडे में दुपट्टा बांध कर लटकी हुई थी. गौरव ने रोते हुए यह बात फोन कर के अपनी मां कुसुमवती को बताई तो वह औफिस में ही बिलखबिलख कर रोने लगीं. किसी तरह औफिस के सहयोगियों ने उन्हें घर पहुंचाया.

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