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रचना और रामेश्वर इसी निश्चिंतता का फायदा उठा रहे थे. लेकिन रचना को भगा ले जाना रामेश्वर के लिए आसान नहीं था. रचना को भगा कर ले जाने से एक तो उस के ननिहाल वाले दुश्मन बन जाते, दूसरे पकड़े जाने पर वह जेल भी जा सकता था.

रचना और रामेश्वर के प्रेमसंबंधों से रचना की ससुराल वाले पूरी तरह बेखबर थे. वे मामी भांजे के इस संबंध के बारे में सोच भी नहीं सकते थे. रचना और रामेश्वर ने एक होने की जो योजना बनाई थी, धीरेधीरे वह सफलता की ओर बढ़ रही थी. रचना ससुराल वालों को लगातार यह विश्वास दिलाने की कोशिश कर रही थी कि वह पूर्व जन्म में नागिन थी. इसलिए नाग उस के सपनों में आते हैं.

रचना जल्दी से जल्दी रामेश्वर के साथ कहीं दूर निकल जाना चाहती थी. वह हमेशा इसी उधेड़बुन में लगी रहती थी, इसलिए उस का किसी काम में मन नहीं लगता था. उस के इस रवैए से परेशान हो कर अकसर सास बिहारी से शिकायत करती. तब बिहारी रचना को डांटता. लेकिन रचना पर इस सब का कोई असर नहीं हो रहा था.

रचना की सास देखती थी कि जब भी उस का नवासा रामेश्वर घर आता है, वह रचना के आगेपीछे ही घूमता रहता है. यह बात उसे अच्छी नहीं लगती थी, इसलिए एक दिन उस ने टोका, ‘‘रामेश्वर, तू कोई कामधंधा क्यों नहीं करता. इधरउधर बेमतलब घूमता रहता है.’’

‘‘नानी, आप चिंता न करें, एक दिन मैं ऐसा काम करूंगा कि आप हैरान रह जाएंगी.’’ रामेश्वर ने कहा.

रचना और रामेश्वर की मुलाकातें चोरीछिपे होती थीं. लेकिन उन के बातव्यवहार, हावभाव और हरकतों से घर वालों को संदेह होने लगा था. इस के बावजूद कोई उन पर नजर नहीं रख रहा था. सभी को लगता था कि दोनों हमउम्र हैं और उन का हंसीमजाक का रिश्ता है, इसलिए थोड़ा खुल गए हैं.

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