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दिल्ली के बाहरी उत्तरी जिले का एक इलाका है शाहबाद डेयरी. वहां बसी झुग्गियों में रहन वाले गरीब परिवारों की अपनीअपनी समस्याएं हैं. वे रोजीरोटी के संघर्ष में जूझते रहते हैं. इसी के साथ बुनियादी समस्याएं भी हैं, सामाजिकता नहीं के बराबर ही कही जा सकती है. किसी परिवार को किसी से शायद ही कोई मतलब हो. कौन क्या करता है, कहां जाता है, किस से मिलताजुलता है, क्या रोजगार धंधा है, इस का सीधा असर इलाके के किशोर उम्र के लडक़ेलड़कियों पर खूब पड़ते देखा जा सकता है.

वे जितने बेफिक्र और लापरवाह दिखते हैं, उतने ही अपनी मस्ती के आलम में मटरगश्ती करते रहते हैं. जवानी की दहलीज पर खड़ी अधिकतर लड़कियों पर सोशल साइटें, वीडियो, फिल्में, यूट्यूब, फैशन और रील्स की खुमारी चढ़ चुकी है. उन की जिंदगी हैप्पी वर्थडे विश, वेलेंटाइन डे, पिकनिक पार्टी आदि में सिमट गई है. ऐसे में वैसी लड़कियां तुरंत ही किसी दिलफेंक आशिक की बातों में आ जाती हैं. जैसा कि 16 वर्षीया साक्षी के साथ हुआ.

बात इसी 28 मई की है. साक्षी को अपने मोहल्ले के परिचित के यहां बच्चे की बर्थडे पार्टी में जाना था. चाहे जैसी भी पार्टी हो, वह उस में जरूर शामिल होती थी. वहां जाने के लिए शाम साढ़े 8 बजे निकली थी. करीब पौने 9 बजे वह गली के मोड़ पर पहुंची थी. वहां उसे साहिल खान पहले से खड़ा मिल गया. साहिल उस का दोस्त था, लेकिन फिलहाल साक्षी ने उस से बातचीत करनी बंद कर दी थी. साहिल उसे देख कर छूटते ही बोला, “मैं ने तुझे मना किया था न, किसी की पार्टी में नहीं जाना है.” वह बेहद गुस्से में था.

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