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घटना के चौथे दिन दोपहर के करीब 2 बजे पुलिस को मुखबिर ने सूचना दी कि शारिक सेक्टर-45 के बस स्टैंड पर खड़ा बस के आने का इंतजार कर रहा है. वह कहीं भागने की फिराक में है. इस सूचना के बाद इंसपेक्टर नरेंद्र पटियाल बगैर एक पल गंवाए पुलिस टीम और प्राइवेट जीप से सादे कपड़ों में सेक्टर 45 बस स्टैंड पर पहुंच गए. पुलिस ने बस स्टैंड को चारों ओर से घेर लिया था.

मुखबिर के इशारे पर पुलिस ने शारिक को हिरासत में ले लिया. वह हाथ में अटैची लिए बेचैनी के साथ इधरउधर देख रहा था. पुलिस उसे हिरासत में ले कर सेक्टर-34 थाने लौट आई.  पुलिस ने उस से कड़ाई से पूछताछ की. पहले तो शारिक इधरउधर की बातें करता रहा, लेकिन जब पुलिस ने सख्ती की तो वह समझ गया कि अब बचना आसान नहीं होगा. बेहतरी इसी में है कि सच कुबूल ले, उस के बाद शारिक ने रट्ïटू तोते की तरह सब कुछ बता दिया. शारिक ने ममता की हत्या का जुर्म स्वीकार करने के बाद हत्या के पीछे की कहानी भी बता दी.

इंसपेक्टर नरेंद्र पटियाल ने इस की जानकारी एसएसपी डा. सुखचैन सिंह गिल और डीएसपी राम गोपाल को भी दे दी.  अगले दिन यानी 24 नवंबर, 2022 को डीएसपी राम गोपाल ने अपने औफिस में पत्रकार वात्र्ता बुला कर ममता\ हत्याकांड का खुलासा कर दिया. उस के बाद पुलिस ने शारिक को बुड़ैल जेल भेज दिया. आरोपी शारिक से की गई पूछताछ के बाद धोखे में लिपटी फरेबी आशिक की कहानी कुछ ऐसे सामने आई—

25 वर्षीय शारिक चंडीगढ़ के सेक्टर-45 के बुड़ैल मोहल्ले में किराए का कमरा ले कर अकेला रहता था. मूलरूप से वह बिहार के मधुबनी जिले के बेला गांव का रहने वाला था. वह शादीशुदा था. उस की पत्नी सासससुर के पास गांव में रहती थी. यहां रह कर वह एक होटल में डिलीवरी बौय का काम करता था.

शारिक जिस मकान में किराए पर रहता था, उस के ठीक सामने वाले मकान में चंपा देवी अपनी बेटी ममता और बेटे छोटू के साथ रहती थी. बेहद सुशील और नम्र स्वभाव की चंपा मेड का काम करती थी. पड़ोसियों से ही पता चला था कि चंपा देवी का पति के साथ रिश्ता अच्छा नहीं है, इसीलिए वह अपने गांव हरदोई के मलाहपुर रहता है और यह यहां बच्चों के साथ रहती है.

दोनों ने कर दिया प्यार का इजहार

चंपा के काम पर निकल जाने के बाद ममता और छोटू घर पर अकेले रहते थे. कहने का आशय यह है कि गोरी और खूबसूरत ममता पर जब से शारिक की नजर पड़ी थी, वह उस पर पहली ही नजर में दिल हार बैठा था. उस के दिल में अपने प्यार का घर बनाना चाहता था, लेकिन अभी ये एकतरफा प्यार था. दूरदूर से उसे देख कर अपने दिल को तसल्ली दे देता था.

चंपा देवी जब घर में होती थी, शारिक उन से पड़ोसी का हवाला दे कर मिलने आता था और उस ने अपनी मीठी बोली से उस का दिल जीत लिया था. शारिक का नेक व्यवहार देख कर चंपा देवी ने उस से आते रहने को कह दिया तो शारिक का दिल खुशी के मारे फूला नहीं समाया. यही तो वह चाहता था कि उस के घर में किसी तरह एंट्री मिल जाए तो ममता के दिल में खुदबखुद एंट्री पा लेगा.

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शारिक ने धीरेधीरे चंपा के साथसाथ उस के बेटे छोटू के दिल पर राज कर लिया. अब छोटू का आलम यह था जब तक वह शारिक से एक बार मिल नहीं लेता था, उसे चैन नहीं पड़ता था.  एक दिन की बात है. उस दिन शारिक काम पर नहीं गया और चंपा काम से जल्दी घर लौट आई थी. शाम का वक्त हो रहा था. शारिक चंपा के घर उस से मिलने आया, ‘नमस्ते, आंटी.’ उस ने उन का अभिवादन किया.

“खुश रहो, बेटा,’’ चंपा ने भी उसी भाव में जवाब दिया, ‘‘आओ, बैठो.’’

“आज काम पर नहीं गया था. घर पर ही था और कई दिनों से आप से मुलाकात भी नहीं हुई. सोचा, आप सब से मिल कर खैरियत पूछ लूं. आप सब ठीक तो हैं न, आंटी.’’

“हां बेटा, सब ठीक है. तुम तब तक बच्चों से बातें करो, मैं तुम्हारे लिए चाय बनाती हूं.’’

“नहीं आंटी, इस की कोई जरूरत नहीं. मैं तो बस आप से मिलने और हालचाल पूछने आ गया था.’’

“इस में जरूरत की क्या बात है, बेटा. वैसे भी शाम का वक्त हो रहा था. यह वक्त चायनाश्ते का होता है, मुझे भी चाय की तलब लगी थी. सोचा इसी बहाने मुझे भी चाय मिल जाएगी..’’

“फिर तो आप चाय बना ही लो आंटी. वैसे भी आप के हाथों की बनी चाय का स्वाद लाजवाब होता है.’’ उस ने चंपा की तारीफ के पुल बांधे और ममता को निहारता रहा. ममता कमरे में ही बैठी रही, वह दूसरे कामों में उलझी रही थी.

शारिक ने आगे कहा, ‘‘आंटी, एक बात पूछूं?’’

“हूं. पूछो बेटा.’’

“आप की बिटिया बोलती नहीं है क्या?’’

“नहीं बेटा, बोलती है. जब चपड़चपड़ बोलना शुरू करती है तो इस के आगे तूफान की रफ्तार भी कम पड़ जाती है.’’ कह कर चंपा हंसने लगी तो ममता घूर कर शारिक को ताकने लगी. शारिक यही चाहता भी था कि वह उस क ी ओर देखे.  चंपा अपनी बात आगे बढ़ाती हुई बोली, ‘‘क्या है बेटा, बिटिया थोड़ी शरमीली मिजाज की है. परायों के सामने थोड़ा कम बोलती है.’’

“मैं पराया कहां रहा आंटी.’’ चंपा की बात बीच में काट कर शारिक बोला, ‘‘पराए तो वो होते हैं जिन से कोई जानपहचान नहीं होती. फिर मैं तो आप का अपना हूं, तब मुझ से बात करने में कैसी शरम, कैसी हया.’’

इस पर ममता फिर शारिक को देखने लगी. उस की भावनात्मक बातें ममता के दिल में गहराई से उतर गई थीं. ये बात 2020 की थी. उस दिन के बाद से शारिक ममता के घर जब भी आता था, ममता उस के पास बैठ कर हंसीमजाक कर लेती थी. अब पहले की तरह उस से शरमाती नहीं थी. अपनी मीठी और लच्छेदार बातों से शारिक ने ममता के दिल में जगह बना ली थी.

दिलोजान से चाहने लगी ममता

उसे शारिक की बातें और उस से मिलना अच्छा लगने लगा था. उसे भी शारिक से प्यार हो गया था तभी तो वह उसे हर घड़ी, हर पल अपने करीब देखना चाहती थी. जब कभी वह उसे नहीं देख पाती थी तो जल बिन मछली की तरह तड़पती थी. शारिक समझ गया था कि ममता भी उस से प्यार करने लगी है. तभी तो वह उस के करीब आने के लिए बेताब रहती है.

शारिक समझ गया था लोहा गरम है, चोट कर दे. यानी अपनी मोहब्बत का इजहार कर दे. वह जानता था कि दोपहर के वक्त पर घर में न तो आंटी होती थी और न ही छोटू होता था. ममता ही घर पर अकेली होती थी. एक दिन दोपहर के समय शारिक उस के घर पर जा पहुंचा.

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