पुनीत नर्मदा नदी के बुधनी घाट पर पूजापाठ करता था. सुंदर लड़कियां उस की कमजोरी थीं. वह लड़कियों को देख कर जल्दी फिसल जाता था. अंजू से प्यार हो जाने के बाद उस ने अंजू के घर वालों के सामने शादी का प्रस्ताव रखा था, लेकिन जब वे लोग राजी नहीं हुए तो वह अंजू को भगा कर ले गया और कोर्ट में शादी कर ली.
शादी के एक साल बाद ही अंजू ने एक बेटे को जन्म दिया. उस के बाद पुनीत के सिर से प्यार का खुमार उतर गया और वह अंजू के साथ मारपीट करने लगा.
वह अपने बेटे को ही बेचने की धमकी देने लगा.
यह बात राजाराम गोस्वामी के परिवार को चली तो वे पुनीत से और ज्यादा नफरत करने लगे. राजू रघुवंशी को जब अंजू की दयनीय हालत का पता चला तो वह अंजू से हमदर्दी रखने लगा. वह अकसर यही सोचता कि अगर किसी तरह पुनीत को रास्ते से हटा दे तो अंजू को फिर से हासिल कर सकता है. इसी वजह से उस ने प्रदीप के बनाए प्लान में शामिल हो कर पुनीत की हत्या करने की योजना बनाई.
22 साल की नूरजहां राजाराम गोस्वामी के नाबालिग बेटे प्रदीप पर इस कदर फिदा थी कि उस का प्यार पाने के लिए कुछ भी कुरबान करने को तैयार थी. अपने प्रेमी के कहने पर नूरजहां ने पुनीत से नजदीकी बनाई और और उसे अपने प्रेमजाल में फांस लिया.
नूरजहां फोन पर पुनीत से घंटों बातें किया करती थी और उसे संबंध बनाने के लिए सोहागपुर बुलाती थी, मगर पुनीत के मन में यह डर बना रहता था कि कहीं उस का साला प्रदीप उस के साथ कोई बदसलूकी न कर दे.