अनिभा ने बादल से सदा इसी तरह साथ निभाने का वादा भी किया था. फरजी पत्रकारों के गैंग के सदस्यों के साथ बादल जब जेल चला गया तो अनिभा का झुकाव आईटी पार्क स्थित पेटीएम कंपनी के मैनेजर अंबुज शर्मा की तरफ हो गया. अंबुज भी स्मार्ट था और साथ में काम करता था, लिहाजा दोनों की दोस्ती प्यार में बदल गई.
बादल की मां घर में पापड़ बनाने का काम करती थी और उस के पिता इस काम में उस की मदद करते थे. बादल की मां को कैंसर की बीमारी थी, जिस का इलाज भी चल रहा था. बादल के जेल जाने से उस की मां को बहुत सदमा पहुंचा और वह धीरेधीरे गंभीर रूप से बीमार हो गई.
6 महीने के बाद जेल से बादल बाहर आया, तब तक उस की मां बिस्तर पकड़ चुकी थी. बादल को यह देख कर बहुत दुख हुआ, वह मां के इलाज के लिए पैसे जुटाने के लिए फिर से फरजी पत्रकारों के गैंग में शामिल हो गया, मगर 2 महीने बाद ही उस की मां की मौत हो गई.
इस के बाद बादल काफी टूट चुका था. परिवार की माली हालत भी मां के इलाज में पतली हो चुकी थी. मां की मौत के बाद पापड़ बनाने का काम बंद हो गया.
अनिभा को भी जब मालूम हुआ कि बादल फरजी पत्रकारों के गिरोह में शामिल है, जिन का काम आए दिन लोगों के साथ धोखाधड़ी और ब्लैकमेलिंग के जरिए पैसा कमाना है तो उस ने बादल से दूरियां बनानी शुरू कर दीं.
अनिभा का प्यार अब अंबुज के साथ परवान चढ़ रहा था. जब बादल को इस बात का पता चला तो वह भड़क गया.