कमरा नंबर 204 बाहर से बंद था. होटल के मैनेजर ने उसे खोल कर देखा तो कमरे के पलंग पर एक युवती की लाश पड़ी हुई थी. युवती की आंखें फैली हुई थीं और मुंह से झाग निकल रहे थे.
मैनेजर ने तुरंत होटल मालिक को फोन कर के इस लाश की सूचना दी और उस के कहने पर गाजियाबाद के थाना वेव सिटी को लाश के बारे में बता कर होटल अनंत में आने को कह दिया. वहां मौजूद दानिश अपनी 22 वर्षीय बहन जोया की लाश देख कर जोरजोर से रोने लगा था.
थोड़ी देर में होटल अनंत में थाना वेव सिटी के एसएचओ अंकित चौहान और एसीपी सलोनी अग्रवाल पहुंच गईं. अंकित चौहान ने थाने से चलते समय एसीपी को लाश की सूचना दे दी थी. एसीपी सलोनी अग्रवाल और एसएचओ ने लाश का निरीक्षण किया. दोनों इस नतीजे पर पहुंचे कि युवती को जहर दिया गया है तथा उस का मुंह दबा कर उसे मारा गया है.
गोरी, छरहरी, लंबी कदकाठी वाली जोया उर्फ शहजादी बेशक किसी राजा की राजकुमारी नहीं थी, लेकिन रहनसहन और अपनी खूबसूरत छवि की वजह से वह किसी राजकुमारी से कम नहीं लगती थी.
शहजादी को घर और बाहर जोया भी कहते थे, इसलिए शहजादी भी अपना यही नाम सब को बताती थी. इस शहजादी को पाने की ललक हर युवा दिल में थी, लेकिन शहजादी के दिल में कोई और बसा हुआ था. शहजादी जिसे दिलोजान से प्यार करती थी, उस का नाम अजरुद्दीन उर्फ अजरू था.
अजरुद्दीन शादीशुदा और 5 बच्चों का बाप था. उस की पत्नी जीनत बेगम थी, जो बेहद खूबसूरत थी. करीब 4 साल पहले अलीगढ़ की एक ज्वैलरी शाप में वह अपनी पत्नी जीनत के लिए सोने की अंगूठी खरीद रहा था, वहीं पर उस ने पहली बार जोया को देखा था. उस की खूबसूरती देख कर वह ठगा सा रह गया था.