पुलिस वैन थोड़ी ही देर में भागीरथी विहार की उस जगह पर पहुंच गई, जहां एक युवक खून से लथपथ पड़ा हुआ था. लगभग 20 साल के उस युवक ने सफेद रंग की जैकेट पहन रखी थी, जो खून से रंग गई थी. वह बुरी तरह घायल था. उस के जिस्म को पूरी तरह चाकू से गोद दिया गया था, जहां से ताजा खून उस समय भी बह रहा था. स्पष्ट था कि उस घटना को हुए ज्यादा वक्त नहीं हुआ था.
एसआई सीताराम ने युवक का बारीकी से निरीक्षण किया. उस में अभी सांस बाकी थी. उस की गरदन में चाकू धंसा हुआ था, गले में खून सना सफेद मफलर था और 2 काले रंग के मफलर उस के पैरों की तरफ पड़े थे. अनुमान लगाया गया कि यह मफलर शायद उन लोगों के हैं, जिन्होंने इस पर प्राणघातक हमला किया है.
एसआई सीताराम अभी उस युवक का मुआयना कर ही रहे थे कि उस युवक की जेब से मोबाइल की घंटी की आवाज सुनाई देने लगी. एसआई सीताराम ने उस युवक की पैंट की जेब में हाथ डाला, उस में मोबाइल था, जिस की रिंगटोन बज रही थी और स्क्रीन पर 9667531333 नंबर दिख रहा था. एसआई ने कुछ सोच कर काल रिसीव करने के लिए स्क्रीन पर टच कर दिया.
ये क्राइम स्टोरी भी पढ़ें – गोवा की खौफनाक मुलाकात
दूसरी ओर से किसी का लताडऩे वाली आवाज सुनाई दी, ”मैं तुझे कितनी देर से फोन लगा रहा हूं, लेकिन तू फोन ही रिसीव नहीं कर रहा है. कहां पर है तू?’’
”देखिए, मैं एसआई सीताराम बोल रहा हूं… आप को बता दूँ. यह फोन उस लड़के की जेब से मैं ने निकाला है, जो बुरी तरह घायल यहां पड़ा हुआ है.’’
”क्या कह रहे हैं आप? मेरा भाई माहिर घायल पड़ा है… कैसे घायल हो गया वह? क्या उस का एक्सीडेंट हो गया है?’’ दूसरी ओर से फोन करने वाले का घबराया हुआ स्वर उभरा.
”दुर्घटना नहीं हुई है, आप के भाई पर किसी ने जानलेवा हमला किया है, आप तुरंत गोकलपुरी के भागीरथी विहार की गली नंबर 11 में पहुंच जाइए.’’ एसआई सीताराम ने गंभीर स्वर में कहा.
”मैं आ रहा हूं सर, आप मेरा इंतजार करिए.’’ दूसरी ओर से कहने के बाद संपर्क काट दिया गया.
एसआई सीताराम ने ओप्पो कंपनी का वह फोन जेब में रखा. उसी वक्त वहां थाना गोकलपुरी के एसएचओ प्रवीण कुमार पहुंच गए.
उन्होंने बुरी तरह घायल पड़े युवक को देखा. युवक पर किया गया हमला इतना घातक था कि उस के जिस्म का कोई हिस्सा ऐसा नहीं बचा होगा, जहां जख्म न हुआ हो.
लोगों ने हमलावरों को क्यों नहीं रोका
वहां अब तक काफी भीड़ जमा हो गई थी. हैडकांस्टेबल विजेंद्र शुक्ला और एएसआई विपिन त्यागी भीड़ को पीछे हटाने में लगे हुए थे. एसएचओ ने भीड़ के पास आ कर पूछा, ”इस पर किन लोगों ने हमला किया, तुम ने देखा है?’’
”साहब, वे 3 युवक थे, वे इसे घेर कर चाकू और ईंट से मार रहे थे. हम लोगों ने बीचबचाव करना भी चाहा, लेकिन उन में से एक युवक गुर्रा कर चीखा था, ‘कोई भी आगे आएगा, उसे हम जिंदा नहीं छोडेंग़े.’ साहब, इसे बुरी तरह घायल कर के चाकू को लहराते हुए इस ओर भाग गए.’’ एक अधेड़ से व्यक्ति ने हाथ से गली के सामने की ओर इशारा कर के बताया.
”क्या वे युवक इसी कालोनी के थे?’’
”यह हम नहीं बता सकते, साहब. हम ने उन्हें पहले कभी नहीं देखा.’’ दूसरा व्यक्ति बोला.
एसएचओ कुछ और पूछते उसी वक्त एक युवक बाइक पर वहां आ गया. वह काफी बदहवास था.
बाइक खड़ी कर के वह घायल पड़े युवक के पास आया. उसे देखते ही वह रोने लगा. रोते हुए ही उस ने बताया, ”साहब, यह मेरा छोटा भाई माहिर है. इस की यह हालत किस ने की है?’’
”हमलावर 3 युवक थे, वे कौन थे, यह अभी मालूम नहीं हुआ.’’ एसएचओ गंभीर स्वर में बोले.
फिर उन्होंने रोते हुए युवक से पूछा, ”क्या तुम यहीं आसपास रहते हो?’’
”नहीं सर, हम गली नंबर 2 विजय विहार, लोनी (गाजियाबाद) में रहते हैं.’’
अब तक आखिरी सांसें गिन रहा माहिर दम तोड़ चुका था. वैसे भी यह अनुमान पहले ही लगा लिया गया था कि बुरी तरह चाकुओं से गोद दिए गए युवक का बचना असंभव है. हमलावरों ने जिस तरह उस पर चाकुओं से वार किए थे, वह यही सोच कर किए थे कि माहिर किसी भी तरह बचना नहीं चाहिए. ऐसा ही हुआ था. वहां की कागजी काररवाई पूरी कर के एसआई ने फोरैंसिक टीम को बुलवा कर साक्ष्य एकत्र करवाए.
माहिर की पहचान उस के बड़े भाई उस्मान ने कर दी थी. सारी खानापूर्ति करने के बाद एएसआई विपिन त्यागी, एसआई सीताराम और एसएचओ प्रवीण कुमार वापस थाने लौट गए. हैडकांस्टेबल विजेंद्र कुमार शुक्ला ने माहिर की लाश एंबुलेंस बुलवा कर जीटीबी हौस्पिटल पहुंचा दी, जहां माहिर का पोस्टमार्टम होना था. यह बात 28 दिसंबर, 2023 की है.
उत्तरपूर्वी दिल्ली के थाना गोकलपुरी को रात 9 बजे के आसपास पीसीआर से सूचना मिली कि भागीरथी विहार की गली नंबर-11 में एक युवक खून से लथपथ पड़ा हुआ है.
हैडकांस्टेबल विजेंद्र कुमार शुक्ला ने यह सूचना एसएचओ प्रवीण कुमार को दे दी थी. तब एसएचओ ने उसी वक्त घटनास्थल पर जाने के लिए एसआई सीताराम और एएसआई विपिन त्यागी को रवाना कर दिया. इन के साथ हैडकांस्टेबल विजेंद्र शुक्ला भी थे.
कैसे गिरफ्तार हुए आरोपी
माहिर हत्याकांड की जानकारी एसएचओ प्रवीण कुमार ने नार्थ ईस्ट के डीसीपी जौय टिर्की और एसीपी अभिषेक गुप्ता को दे दी. डीसीपी जौय टिर्की ने एसीपी अभिषेक गुप्ता के निर्देशन में यह केस हल करने की जिम्मेदारी एसएचओ प्रवीण कुमार को सौंप दी.
एसएचओ ने माहिर की हत्या के आरोपियों की तलाश करने के लिए खास मुखबिर लगा दिए. दूसरे दिन एक मुखबिर ने उन्हें सूचना दी, ”सर, माहिर की हत्या के आरोपी लड़के अशोक नगर के पास खड़े हैं, तुरंत आएंगे तो उन्हें दबोचा जा सकता है.’’
एसएचओ प्रवीण कुमार तुरंत अपने साथ 3-4 पुलिस वालों को ले कर थाने से निकले. एसआई सीताराम, हैडकांस्टेबल विपिन और विजेंद्र शुक्ला, रोहित डिवेश भी साथ में थे. रास्ते से मुखबिर भी उन के साथ बैठ गया.
हैडकांस्टेबल विपिन
अशोक नगर की एक गली के पास खड़े 3 युवकों को देख कर मुखबिर ने एसएचओ प्रवीण को इशारा कर के कहा, ”यही वे 3 लड़के हैं साहब.’’
मुखबिर ने वैन रोकने को कहा. एसएचओ प्रवीण कुमार ने तुरंत ही पुलिस वैन रुकवा दी और पुलिस वालों के साथ उस ओर झपटे, जहां वे युवक खड़े थे. पुलिस को अपनी तरफ आता देख कर तीनों गली में दौड़ पड़े, जिन्हें पुलिस ने पीछा करके दबोच लिया.
उन युवकों को पुलिस वैन में बिठा कर थाना गोकलपुरी लाया गया. यहां तीनों को दीवार के सहारे खड़ा कर दिया गया. इन में 2 युवक 20-21 साल के थे और एक नाबालिग दिख रहा था. पुलिस की गिरफ्त में आते ही उन के चेहरे सफेद पड़ गए थे. वह डर से थरथर कांप रहे थे.
एसएचओ ने उन्हें घूरते हुए पूछा, ”अपने नामपता बताओ.’’
”साहब, मेरा नाम अरमान खान, मेरे पिता का नाम हाशिम खान है. मैं गली नंबर 10, मकान नंबर 270, भागीरथी विहार में रहता हूं.’’
दूसरा बोला, ”मेरा नाम मोहम्मद फैसल उर्फ फिड्डी है. मेरे वालिद का नाम शमशेर अली है. पता जी-205, गली नंबर-13, भागीरथी विहार है. साहब, मैं ने कुछ नहीं किया है.’’
”मैं ने अभी यह नहीं पूछा कि तुम ने क्या किया है या नहीं किया है.’’ एसएचओ उसे एक तरफ कर के तीसरे लड़के की तरफ पलटे, ”तेरा नाम?’’
”साहब, मेरा नाम उस्मान है और मैं जी-118, गली नंबर-13 भागीरथी विहार में रहता हूं.’’ नाबालिग बोला.
”तुम माहिर को पहचानते हो?’’
”कौन माहिर साहब? यह नाम मैं ने पहले नहीं सुना.’’ अरमान खुद को संभाल कर जल्दी से बोला.
”वही जिस का भागीरथी विहार की गली नंबर 11 में तुम तीनों ने बेरहमी से कत्ल किया है.’’
”न… नहीं साहब, हम ने किसी का कत्ल नहीं किया है.’’ इस बार फैसल बोला.
”तब हमें देख कर तुम तीनों भागे क्यों थे?’’
”हम डर गए थे साहब, पुलिस से हमें बहुत डर लगता है.’’ फैसल ने कहा, ”हम तीनों निर्दोष हैं साहब, हमें छोड़ दीजिए.’’
”छोड़ देंगे, पहले तुम लोगों की खातिरदारी तो कर लें.’’ एसएचओ मुसकराए फिर उन्होंने एएसआई विपिन त्यागी को इशारा किया, ”ये बगैर सेवा किए कुछ नहीं बताएंगे, इन्हें मुंह खोलने के लिए खुराक दो.’’
एसएचओ प्रवीण कुमार अपने कक्ष में आ कर बैठ गए. उधर रिमांड रूम में एएसआई विपिन त्यागी अरमान, फैसल और उस्मान पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाते हुए बता रहे थे कि अपराध करने वालों को यहां सच बोलना पड़ता है.
ये क्राइम स्टोरी भी पढ़ें – शैतान का कारनामा : इंसानियत हुई शर्मसार