25 वर्षीय अंकिता पिसुदे महाराष्ट्र के वर्धा जिले के गांव दरोदा की रहने वाली थी. वह हिंगनघाट तालुका नांदोरी चौक स्थित मातोश्री आशाताई कुमारन डिग्री कालेज में बतौर प्रोफेसर कार्यरत थी. यह कालेज उस के गांव से लगभग 75 किलोमीटर दूर था, इसलिए वह रोजाना कालेज बस से आतीजाती थी. उस के पढ़ाने का तरीका इतना सरल था कि सभी छात्रछात्राएं उस से खुश रहते थे.

3 फरवरी, 2020 सोमवार का दिन था. उस दिन अंकिता हिंगनघाट के बस स्टाप पर उतर कर नांदोरी चौक स्थित अपने कालेज जा रही थी. अभी वह कालेज से 100 कदम की दूरी पर ही थी कि तभी अचानक विकेश नागराले ने मोटरसाइकिल से उस का रास्ता रोक लिया.

विकेश अंकिता के मोहल्ले में ही रहता था. अचानक उसे सामने देख अंकिता बुरी तरह डर गई. जिस तरह से उस ने रास्ता रोका था, वह शुभ संकेत नहीं था.

‘‘यह क्या बदतमीजी है विकेश?’’ अंकिता उस पर भड़कते हुए बोली, ‘‘तुम ने मेरा रास्ता क्यों रोका और तुम यहां क्या कर रहे हो?’’

‘‘मैं यहां क्या कर रहा हूं, तुम जान जाओगी और रास्ता क्यों रोका, यह तुम से अच्छा और कौन जान सकता है.’’ विकेश ने सख्त शब्दों में कहा.

‘‘देखो विकेश, बहुत तमाशा हो चुका है. मेरा पीछा बंद करो और मेरा रास्ता छोड़ दो.’’ अंकिता ने गुस्से में कहा.

‘‘तमाशा मैं नहीं, तुम कर रही हो अंकिता. आखिर तुम मेरे प्यार को मान क्यों नहीं लेतीं. देखो, हम दोनों एकदूसरे के लिए बने हैं. दोनों मिल कर एक ऐसी दुनिया बसाएंगे, जहां हम दोनों के सिवा और कोई नहीं होगा.’’ विकेश बोला.

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