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28अक्तूबर, 2019 को ग्रेटर नोएडा की फास्ट ट्रैक कोर्ट-2 में काफी भीड़ थी. दोनों पक्षों के वकील, पुलिस और तीनों आरोपी चंद्रमोहन शर्मा, प्रीति नागर, विदेश अदालत में मौजूद थे. उस दिन फास्ट ट्रैक कोर्ट के न्यायाधीश निरंजन कुमार एक ऐसे केस में सजा सुनाने वाले थे, जिस में शातिराना ढंग से खुद को मृत साबित करने के लिए चंद्रमोहन शर्मा ने एक पागल व्यक्ति को अपनी कार में बैठा कर जिंदा जला दिया था.

दोनों पक्षों की बहस पूरी हो चुकी थी. पिछली तारीख पर अदालत चंद्रमोहन को भादंवि की धारा 302 के तहत दोषी भी ठहरा चुकी थी. उस दिन सिर्फ फैसला सुनाया जाना था. प्राथमिक काररवाई निपटाने के बाद न्यायाधीश निरंजन कुमार ने फैसला सुनाते हुए चंद्रमोहन को आजीवन कारावास की सजा सुनाई.

दरअसल 28 अक्तूबर, 2019 को ग्रेटर नोएडा की फास्ट ट्रैक कोर्ट-2 के न्यायाधीश निरंजन कुमार ने जो फैसला सुनाया, उस की शुरुआत 7 जून, 2014 की शाम को तब हुई थी, जब शाम करीब 7 बजे अचानक एक लड़की का अपहरण हो गया.

दिल्ली से सटे गौतमबुद्ध नगर जिले के ग्रेटर नोएडा में अल्फा- 2, सेक्टर के मकान नंबर आई-33 में रहने वाले संतराम नागर की बेटी प्रीति नागर (22) अपने घर के बाहर से रहस्यमय ढंग से गायब हो गई.

प्रीति नागर शाम के अंधेरे में घर के बाहर बिछी चारपाई उठाने आई थी और गायब हो गई. चूंकि उस वक्त इलाके में बिजली नहीं थी इसलिए किसी ने भी प्रीति को कहीं आतेजाते नहीं देखा था. प्रीति को इधरउधर तलाश करने के बाद उस के पिता संतराम ने पुलिस कंट्रोल रूम को 100 नंबर पर फोन कर के इत्तिला दे दी.

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