यौवन की दहलीज पर पहुंच चुकी सीमा का गोरा रंग, छरहरी काया और बड़ीबड़ी आंखें लड़कों के लिए आकर्षण का केंद्र थीं. उस के यौवन की चमक से लड़कों की आंखें चौंधिया रही थीं. वे उस के आगेपीछे मंडराने लगे थे. लेकिन सीमा किसी को घास तक नहीं डालती थी.
अरुण पहली ही मुलाकात में सीमा का दीवाना हो गया. इस के बाद वह उस के खयालों में डूबा रहने लगा. सीमा घर से खेतखलिहान जाती तो वह उस का पीछा करता.
कुछ ही दिनों में सीमा को भी एहसास हो गया कि वह उस का पीछा करता है. लेकिन उस ने इस का विरोध नहीं किया. कारण, उसे भी अरुण का प्यारभरी नजरों से निहारना अच्छा लगने लगा था.
सीमा उम्र के नाजुक मुकाम पर थी. इसलिए उस के दिल के दरवाजे पर अरुण ने दस्तक दे दी.
मोहब्बत वह एहसास है, जो बिना लफ्जों के भी अपनी मौजूदगी का अहसास करा देती है. उन के साथ भी ऐसा ही हुआ था. एक दिन मौका पा कर अरुण ने हिम्मत कर के सीमा से सीधे कह दिया, ‘‘सीमा, तुम मुझे अच्छी लगती हो, इसलिए मैं तुम से दोस्ती करना चाहता हूं.’’
अरुण की बात पर सीमा मुसकराते हुए बोली, ‘‘मैं ने सुना है कि अंजान लोगों से दोस्ती नहीं करनी चाहिए.’’
‘‘मैं अंजान कहां हूं. तुम मेरी बुआ के घर के पास रहती हो. मैं तुम्हें अच्छी तरह जानता हूं. रही बात मेरी तो अपने बारे में बताए देता हूं कि मेरा नाम अरुण है और मैं मकान बनवाने का ठेका लेता हूं. लोग मुझे ठेकेदार के नाम से भी जानते हैं,’’ अरुण ने कहा.