काजल को यह समझते देर नहीं लगी कि उस के गुनाहों की पोल खुल चुकी है. ऐसे में भलाई सच बताने में ही है. काजल ने भी अपना जुर्म कबूल कर लिया कि उसी के कहने पर लक्ष्मण ने दिलीप की हत्या की थी. काजल ने हत्या की पूरी कहानी कुछ ऐसे बयां की—
35 वर्षीय दिलीप कुमार पाठक मूलत: बिहार के समस्तीपुर जिले के थाना भगवानपुर के गांव बुढ़ीवन तैयर का रहने वाला था. पिता अनिल पाठक की 4 संतानों में वह सब से बड़ा था. हंसमुख स्वभाव का दिलीप मेहनतकश था. उस ने प्रौपर्टी डीलिंग का काम शुरू किया था, उस का यह धंधा सही चल निकला था.
दिलीप अपने पैरों पर खड़ा हो चुका था और ईमानदारी से पैसा कमा रहा था. पिता ने 12 साल पहले उस की शादी बेगूसराय के तेघरा, रानीटोल की रहने वाली काजल के साथ कर दी थी. शादी के कई साल बाद उस के घर में एक बेटा पैदा हुआ, जिस का नाम अंश रखा गया.
समय के साथ प्रौपर्टी के धंधे में दिलीप को काफी नुकसान हुआ. इस के बाद उस का धंधा धीरेधीरे और भी मंदा होता गया. स्थिति यह आई कि प्रौपर्टी के बिजनैस में उस ने जितनी पूंजी लगाई थी, सब डूब गई. यह करीब 3 साल पहले की बात है.
पति की माली हालत खराब देख काजल बेटे को ले कर अपने मायके रानीटोल चली गई और वहीं मांबाप के साथ रहने लगी. पत्नी का यह रवैया दिलीप को काफी खला, क्योंकि मुसीबत के वक्त साथ देने के बजाय वह उसे अकेला छोड़ कर चली गई. वह मन मसोस कर रह गया और सब कुछ वक्त पर छोड़ दिया.
उधर काजल ने बेटे को वहीं के एक कौन्वेंट स्कूल में पढ़ाना शुरू कर दिया. दिलीप बीचबीच में पत्नी और बेटे से मिलने ससुराल जाता रहता था. ससुराल में 1-2 दिन रह कर वह अपने घर लौट आता था.
अंश जिस कौन्वेंट स्कूल में पढ़ता था, वहां की किताबें भाषा में काफी मुश्किल होती थीं. कभीकभी अंगरेजी के कुछ शब्दों के अर्थ काजल को भी पता नहीं होते थे, जबकि वह अच्छीभली पढ़ीलिखी थी. बेटे की पढ़ाई में कोई परेशानी न आए, इसलिए उस ने अंश के लिए घर पर ही एक ट्यूटर लगा दिया. यह पिछले साल जुलाईअगस्त की बात है.
ट्यूटर का नाम लक्ष्मण कुमार पासवान था. रातगांव करारी का रहने वाला 21 वर्षीय लक्ष्मण कुमार एकदम साधारण शक्लसूरत और सांवले रंग का युवक था. लक्ष्मण की वाकपटुता से काजल काफी प्रभावित थी. अंश को भी वह खूब मन लगा कर पढ़ाता था. थोड़े ही दिनों में लक्ष्मण उस परिवार का हिस्सा बन गया. बेटे को पढ़ाते समय काजल लक्ष्मण के पास ही बैठी रहती थी.
लक्ष्मण जवान था. ऊपर से कुंवारा भी. जब काजल उस कमरे में आ कर बैठती थी, जिस में वह अंश को पढ़ाता था तो लक्ष्मण उसे कनखियों से निहारता रहता था. काजल भी लक्ष्मण के पास बैठने के लिए बेकरार रहती थी.
एक दिन लक्ष्मण अंश को ट्यूशन पढ़ाने उस के घर पहुंचा. उस समय शाम का वक्त था. उस रोज काजल काफी परेशान थी. उस ने अपने दुखों का पिटारा उस के सामने खोल कर रख दिया. लक्ष्मण काजल की दुखभरी व्यथा सुन कर भावनाओं में बह गया.
काजल ने उस से कहा कि वह उस के लिए कोई छोटीमोटी नौकरी ढूंढने में मदद करे. लक्ष्मण मना नहीं कर सका. बाद में लक्ष्मण ने अपने एक परिचित के माध्यम से एक नर्सरी स्कूल में उसे अध्यापिका की नौकरी दिलवा दी.
काजल लक्ष्मण के अहसानों की कायल थी. धीरेधीरे वह उस की ओर झुकती गई. लक्ष्मण भी उस की ओर आकर्षित होता गया. धीरेधीरे दोनों में प्यार हो गया. प्यार भी ऐसा कि एकदूसरे को देखे बिना रह न सके. यह बात भी जुलाई अगस्त 2016 की है. 2 महीने के प्यार के बाद लक्ष्मण और काजल ने चुपके से मंदिर में विवाह कर लिया. काजल ने इस की भनक किसी को नहीं लगने दी, पति तक को नहीं.
9 वर्ष का अंश भले ही छोटा था, लेकिन उस में इतनी अक्ल थी कि वह अच्छे और बुरे में फर्क महसूस कर सके. उस ने अपनी मम्मी और ट्यूटर के बीच के रिश्तों को महसूस कर लिया था. उसे लगता था कि कहीं कुछ गलत हो रहा है, जो घरपरिवार के लिए अच्छा नहीं है. अंश ने यह बात अपने पापा दिलीप को बता दी. बेटे की बात सुन कर उस के तनबदन में आग लग गई.
बहरहाल, सूचना मिलने के अगले दिन दिलीप ससुराल रानीटोल पहुंच गया. उस दिन ट्यूटर लक्ष्मण को ले कर पतिपत्नी के बीच काफी झगड़ा हुआ. काजल पति को समझाने के लिए झूठ पर झूठ बोले जा रही थी. उस ने सफाई देते हुए कहा कि उस के और लक्ष्मण के बीच कोई संबंध नहीं है.
लक्ष्मण को उस ने बेटे को ट्यूशन पढ़ाने के लिए रखा है. ट्यूटर आता है और बच्चे को ट्यूशन पढ़ा कर चला जाता है. उस रोज काजल अपने त्रियाचरित्र के दम पर पति को काबू करने में कामयाब हो गई थी. जैसेतैसे मामला शांत तो हो गया, लेकिन दिलीप पत्नी पर नजर रखने लगा.
पति को उस पर शक हो गया है, काजल ने यह बात लक्ष्मण को फोन कर के बता दी थी. उस ने लक्ष्मण को यह कहते हुए सावधान कर दिया था कि पति जब तक घर पर रहे, तब तक वह बच्चे को ट्यूशन पढ़ाने भी न आए. लक्ष्मण उस की बात मान गया और वैसा ही किया, जैसा उस ने करने को कहा था.
काजल लक्ष्मण से मिलने के लिए बेचैन रहती थी. पति के रहते उन के मिलन में बाधा पड़ रही थी. काजल से लक्ष्मण की जुदाई बरदाश्त नहीं हो रही थी. उस ने पति को रास्ते से हटाने के लिए लक्ष्मण पर दबाव बनाया कि वह उस की हत्या कर दे. उस के बाद रास्ते में रुकावट पैदा करने वाला कोई नहीं रहेगा. काजल को पाने के लिए लक्ष्मण उस की बात मानने के लिए तैयार हो गया.
लक्ष्मण जानता था कि दिलीप की माली हालत अच्छी नहीं है, इसलिए कुछ ऐसा चक्कर चलाया जाए, जिस से वह उस के काबू में आ जाए. इस के लिए उस ने काजल को धोखे में रखते हुए एक और खेल खेलने की सोची.
उस ने सोचा कि दिलीप की हत्या का ऐसा तानाबाना बुना जाए, जिस से पूरा शक काजल और काजल के मायके वालों पर ही जाए. कभी मामले का खुलासा हो भी तो वह शक के दायरे से बचा रहे.
दिलीप ने लक्ष्मण को कभी नहीं देखा था, इसलिए वह उसे जानतापहचानता नहीं था. लक्ष्मण और काजल ने इसी बात का फायदा उठाते हुए योजना बनाई कि दिलीप को भरोसा दिलाया जाए कि एक ऐसी पूजा है, जिसे ध्यानमग्न हो कर करने पर पूजा की जगह पर ही 25 हजार रुपए मिल जाते हैं.