आखिरी कैमरे में पुलिस को जो दृश्य नजर आया, वह उन के लिए बड़ी सफलता ले कर आया था. दोनों युवकों में से एक युवक उन्हें बाइक लिए सडक़ पर खड़ा दिखाई दिया, दूसरा युवक गली में से आता नजर आया, आने वाले युवक के कंधे पर लडक़ी थी. वह निर्जीव यानी लाश लग रही थी.
“सर, यहीं कहीं से यह युवक युवती की लाश ले कर महालक्ष्मी विहार के लिए चले थे.” एसआई मनदीप जोश में भर कर बोले, “हमें यहां पर युवती की फोटो दिखा कर मालूमात कर लेनी चाहिए.”
“ठीक कहते हो.” एसएचओ नफे सिंह मुसकरा कर बोले.
आखिर पुलिस पहुंच ही गई ठिकाने
सभी के मोबाइल में उस मृत युवती का फोटो अपलोड था. उसे वहां के दुकानदारों, पटरी वालों और मजदूरी करने वाले लोगों को दिखाया गया तो एक पटरी वाले ने युवती को पहचान लिया. उस ने बताया, “साहब, यह युवती तो रोहिना है, यह छोटा बाजार में स्थित जाट धर्मशाला के पास पारुल के साथ रहती है.”
“क्या तुम हमें पारुल के घर तक पहुंचा सकते हो?” इंसपेक्टर राजेंद्र कुमार ने पटरी वाले से कहा.
“क्यों नहीं साहब,” वह व्यक्ति अपनी जगह पर खड़ा हो कर बोला, “आप किसी को मेरे सामान के पास खड़ा कर दीजिए.”
एसएचओ ने कांस्टेबल शुभम और निखिल को वहां खड़ा कर दिया. बाकी पुलिस टीम उस व्यक्ति के साथ पारुल के घर की ओर चल पड़ी. वह व्यक्ति उन्हें जाट धर्मशाला के पास एक मकान पर ले कर आया. मकान के दरवाजे पर ताला लटक रहा था.
“यहीं पारुल रहती है साहब, आप मकान मालिक से पूछ लीजिए.” उस व्यक्ति ने कहा.
पुलिस टीम को अपने मकान के दरवाजे पर देख कर ऊपर मौजूद मकान मालिक नीचे आ गया. वह काफी डरा हुआ दिखाई दे रहा था.
“क्या बात है साहब, आप मेरे मकान पर किसे तलाशने आए हैं?” मकान मालिक ने कांपती आवाज में पूछा.
“तुम्हारे कमरे में पारुल रहती है, हमें उस से मिलना है.” इंसपेक्टर राजेंद्र कुमार ने पूछा.
“वो तो कल शाम को मेरा कमरा खाली कर के कहीं दूसरी जगह चली गई है साहब.”
“ओह!” इंसपेक्टर ने गहरी सांस ली, फिर कुछ सोच कर उन्होंने मृत युवती का फोटो मकान मालिक को दिखाया, “इसे पहचानते हो?”
“जी हां, यह रोहिना उर्फ माही है. यह पारुल के साथ ही मेरे कमरे में कई सालों से रह रही थी. हां, मैं ने 2-4 दिन से इसे पारुल के साथ नहीं देखा तो पारुल से पूछा था, तब उस ने बताया था कि माही घूमने के लिए कहीं गई है.”
“पारुल तुम्हारा कमरा छोड़ कर अब कहां रहने गई है?”
“मुझे नहीं मालूम साहब, कल तांगे में अपना सामान लाद कर उस ने मुझे बाकी बचा किराया चुकाया और चली गई. कहां गई, मैं नहीं बता सकता.”
हत्यारे चढ़े पुलिस के हत्थे
पुलिस टीम वापस लौट आई. उन्हें पारुल के नए ठिकाने को तलाश करना था. पारुल ने सामान शिफ्ट करने में तांगा इस्तेमाल किया था. उस तांगे को ढूंढ कर पारुल के नए ठिकाने पर पहुंचा जा सकता था. तांगे का स्टैंड शाहदरा में फ्लाईओवर के नीचे था. वहां जा कर ही तांगा वाले का पता लगाया जा सकता था. यह काम एसआई मनदीप और हैडकांस्टेबल मनीष यादव को सौंपा गया. दोनों उसी वक्त शाहदरा में तांगा स्टैंड के लिए थाने से रवाना हो गए.
एसआई मनदीप ने हैडकांस्टेबल मनीष के साथ उस तांगे वाले को खोज निकाला. उस ने बताया कि वह एक महिला का सामान तेलीवाड़ा (शाहदरा) से अपने तांगे में लाद कर कांतिनगर ले गया था. उस ने एसआई मनदीप को कांतिनगर में पारुल के नए आशियाने पर पहुंचा दिया.
पारुल ने यहां कमरा किराए पर लिया था, इस वक्त वह और उस का भाई मोहित घर पर ही थे. एसआई मनदीप और हैडकांस्टेबल ने दोनों को हिरासत में ले लिया. उन दोनों को करावल नगर थाने में लाया गया. इन की गिरफ्तारी की सूचना डीसीपी डा. जौय टिर्की को दी गई तो वह करावल नगर थाने में आ गए. उन की मौजूदगी में पारुल से पूछताछ शुरू की गई.
एसएचओ नफे सिंह ने रोहिना उर्फ माही की तसवीर मोबाइल में पारुल को दिखाते हुए पूछा, “इसे तो पहचानती हो न पारुल?”
पारुल काफी डरी और सहमी हुई लग रही थी. वह थूक गटकती हुई बोली, “जी.. मैं इसे पहचानती हूं, यह माही है.”
“इस की हत्या किस ने की, क्यों की, इस बात का ठीकठीक जवाब दो. अगर चालाकी दिखाने की कोशिश करोगी तो तुम्हारे हक में अच्छा नहीं होगा.”
“साहब, मैं ने माही की हत्या नहीं की है. माही का गला मेरे भाई विनीत ने दबाया था, वह उसे मारना नहीं चाहता था, लेकिन माही की जिद के कारण विनीत को गुस्सा आ गया और उस ने माही का गला दबा दिया. उस ने डर के कारण माही का शव दीवान में छिपा कर रखा. जब अंधेरा फैलने लगा तो विनीत ने मेरे प्रेमी इरफान को घर बुला लिया.
“वह बाइक ले कर आया. मैं ने और विनीत ने माही की लाश को बाइक तक पहुंचाया. विनीत माही की लाश ले कर बैठा और इरफान ने बाइक संभाली. दोनों रात को माही की लाश करावल नगर क्षेत्र में डाल कर आ गए.”
“विनीत कहां छिपा हुआ है? अपने प्रेमी इरफान की भी जानकारी दो हमें.” डीसीपी जौय टिर्की ने सख्त लहजे में पूछा.
“साहब, मैं नहीं जानती विनीत कहां चला गया है. हां, इरफान के घर का पता मैं आप को बता देती हूं.” पारुल ने कहा और इरफान का पता बता दिया.
पुलिस टीम ने इरफान को उस के घर से दबोच लिया. उसे करावल नगर लाया गया तो वहां अपनी प्रेमिका पारुल उर्फ चिंकी को देख कर वह समझ गया कि माही की हत्या का राज पुलिस के सामने खुल गया है. फिर इरफान ने भी अपना गुनाह चुपचाप कुबूल कर लिया. अब असली कातिल विनीत की गिरफ्तारी शेष थी.
पुलिस ने विनीत पंवार की गिरफ्तारी के लिए जगहजगह दबिश दी, लेकिन वह बड़ी चालाकी से इधरउधर भाग रहा था. जब वह पुलिस टीम के हाथ नहीं आया तो डीसीपी जौय टिर्की ने क्राइम ब्रांच की ईस्टर्न रेंज (2) के हाथ में विनीत की गिरफ्तारी की कमान सौंप दी. अपराध शाखा के एसीपी राजकुमार साहा की देखरेख में क्राइम ब्रांच की टीम ने विनीत की खोज शुरू कर दी. मुखबिर भी विनीत की टोह में लगा दिए गए.