‘‘रानी, यह दूरदूर की मुलाकात में मजा नहीं आता, चल कहीं बाहर चलते हैं’’ पप्पू राव ने अपनी आवाज में शहद घोल कर फोन पर प्रेमिका रानी से कहा.
‘‘रोज ही तो मिलती हूं तुझ से, दूर कहां हूं,’’ रानी ने भी उतनी ही मोहब्बत से पप्पू से सवाल कर डाला.
‘‘नहीं, अभी तू मुझ से बहुत दूर है. अगर तू सचमुच मुझ से प्यार करती है तो मेरे से बाहर मिल. मैं तुझे बहुत सारा प्यार करना चाहता हूं. बहुत सारी बातें करना चाहता हूं.’’ पप्पू बेसब्री से बोला.
अपने प्रेमी की इतनी रोमांटिक बातें सुन कर रानी फोन पर शरमा गई. कुछ पल तो मुंह से बोल ही नहीं फूटे. पप्पू ने सोचा कि शायद वह नाराज हो गई. वह बेचैनी से बोला, ‘‘क्या तू मुझ से प्यार नहीं करती रानी? तुझे मुझ पर भरोसा नहीं है?’’
‘‘बहुत प्यार करती हूं पप्पू, पूरा भरोसा है तुझ पर. बता, कहां आना है?’’
पप्पू राव के चेहरे पर विजयी मुसकान तैर उठी. वह रानी को अपने जाल में फंसाने में कामयाब हो गया. उस की मेहनत सफल हो गई. रानी उस के साथ बाहर जाने को तैयार हो गई. अब वह अपनी सारी हसरतें पूरी करेगा.
दूसरे दिन पप्पू अपनी प्रेमिका रानी को मोटरसाइकिल पर बिठा कर शहर की तरफ उड़ा जा रहा था. शहर पहुंच कर उस ने एक सस्ते से होटल में कमरा लिया और दोनों दिन भर के लिए उस में बंद हो गए.
शुरू में रानी ने पप्पू को रोकने की बड़ी कोशिशें कीं, मगर जब पप्पू ने शादी का वादा किया और साथ जीनेमरने की कसमें खाईं तो रानी का सारा ऐतराज समर्पण में बदल गया.