लाश की शिनाख्त के लिए पुलिस रूबी और उस के पति को मोर्चरी ले गई. थानाप्रभारी सियाराम वर्मा ने जब बरामद लाश रूबी को दिखाई तो वह चीख कर रोने लगी. उस ने लाश की शिनाख्त अपने भाई आलोक कुमार गुप्ता के रूप में कर दी.

इस के थोड़ी देर बाद रूबी के परिवारजनों के अलावा अन्य परिचित भी मोर्चरी के बाहर पहुंच गए. लाश की शिनाख्त हो जाने के बाद पुलिस ने राहत की सांस ली.

चूंकि इस मामले की जांच पहले से ही पारा थाने में चल रही थी, इसलिए एसएसपी ने थाना पारा के प्रभारी त्रिलोकी सिंह को ही आलोक कुमार की हत्या की जांच करने का आदेश दिया. थानाप्रभारी ने मोनू कनौजिया, बबलू, अरुण यादव, रानू उर्फ छोटे मियां, संतोष और सिपाहीराम के खिलाफ अपहरण कर हत्या करने की रिपोर्ट दर्ज कर ली.

एसएसपी ने अभियुक्तों की गिरफ्तारी के लिए एक पुलिस टीम बनाई, इस में थानाप्रभारी त्रिलोकी सिंह, एसएसआई संतोष कुमार शुक्ल, एसआई देवेंद्र सिंह सेंगर, अशोक कुमार सिंह, हैडकांस्टेबल कृष्णमोहन, ब्रह्मकांत, सिपाही मनोज सिंह यादव, राजेश कुमार आदि को शामिल किया गया. टीम का निर्देशन सीओ लालप्रताप सिंह कर रहे थे.

सिपाहीराम  से ही थाना पारा पुलिस की गिरफ्त में था. थानाप्रभारी त्रिलोकी सिंह ने एएसपी सुरेशचंद्र रावत और सीओ लालप्रताप सिंह की मौजूदगी में सिपाहीराम से सख्ती से पूछताछ की तो उस ने स्वीकार कर लिया कि आलोक की हत्या उस ने अन्य लोगों से कराई थी. इस की वजह थी आशनाई.

सिपाहीराम से की गई पूछताछ के बाद पुलिस टीम ने अन्य आरोपियों की तलाश शुरू कर दी. आखिरकार 14 अक्तूबर, 2019 को पुलिस टीम ने मुखबिर की सूचना पर कनक सिटी (पारा) निवासी मोनू कनौजिया, बबलू, सलेमपुर पतौरा निवासी हिमांशु गुप्ता उर्फ कल्लू को देर रात गिरफ्तार कर लिया. इन सभी से आलोक कुमार गुप्ता की हत्या के बारे में पूछताछ की गई तो उन्होंने उस की हत्या की जो कहानी बताई, वह इस प्रकार थी—

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