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आष्टा से सटा जिला है शाजापुर, जिस का एक कस्बा है बेरछा, जो मावा उत्पादन के लिए प्रदेश भर में मशहूर है. बीती पहली फरवरी को सुबह बेरछा के गांव धुंसी के चौकीदार इंदर सिंह बागरी ने थाने में इत्तला दी कि जगदीश पाटीदार नाम के किसान के खेत में एक जली हुई लाश पड़ी है.

बेरछा थाने की तेजतर्रार प्रभारी दीप्ति शिंदे खबर मिलते ही पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर जा पहुंचीं. एसपी शैलेंद्र सिंह के निर्देश पर एफएसएल अधिकारी आर.सी. भाटी भी वहां पहुंच चुके थे. लाश इतनी जल चुकी थी कि उसे किसी भी तरह पहचानना नामुमकिन था.

बारीकी से जांच करने पर लाश के नीचे से चाबियों का गुच्छा और अधजला थरमस मिला. लाश के दाहिने पांव में बिछिए और बाएं हाथ की कलाई में चूडि़यां मिलने से यह भर तय हो पाया कि लाश किसी महिला की है. आसपास उड़ कर गिरे. कई अधजले कागज भी बरामद हुए. इन कागजों की लिखावट को लेंस से पढ़ने पर जो शब्द पुलिस वालों को समझ आए वे मुगलई रोड, श्रमिक, जिला स्वास्थ्य अधिकारी, इनवास, इंजेक्शन की बौटल और चिकित्सक आदि थे.

इन शब्दों से अंदाजा लगाया गया कि मृतका का संबंध जरूर स्वास्थ्य विभाग से है. साफ दिख रहा था कि महिला की हत्या कर उस की लाश को पहचान छिपाने की गरज से जलाया गया है. अब तक गांव वालों की भीड़ घटनास्थल पर लग गई थी जिन से पूछताछ करने पर पता चला कि एक दिन पहले एक मारुति वैन इस इलाके में देखी गई थी.

इन साक्ष्यों से पुलिस वालों के हाथ कुछ खास नहीं लग रहा था. ऐसे में मुगलई रोड गांव को आधार बना कर पुलिस जांच आगे बढ़ी तो मालूम हुआ कि यह गांव सीहोर जिले की आष्टा तहसील का है.

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