घटना 27 जुलाई, 2018 की है. उस दिन कोर्ट में शीलेश की पत्नी नलिनी के बयान होने थे. शीलेश तो कोर्ट जाने के लिए तैयार हो गया था, नलिनी तैयार हो रही थी. शीलेश पत्नी से जल्द तैयार होने की कह कर किराए की गाड़ी लेने के लिए चला गया.
उस समय दोपहर के 12 बजे बजने वाले थे. थोड़ी देर बाद शीलेश जब घर वापस आया तो उस ने पत्नी को आवाज दी, ‘‘नलिनी, गाड़ी आ गई है, जल्दी आ जाओ.’’
आवाज देने के बाद भी जब कोई जवाब नहीं मिला तो वह अंदर कमरे में गया. वहां का दृश्य देखते ही उस के होश उड़ गए, मुंह से चीख निकल गई. नलिनी पंखे पर फंदा लगा कर लटकी हुई थी. वह जोरजोर से रोने लगा. उस के रोने की आवाज सुन कर आसपास के लोग आ गए. पत्नी की सांस चल रही है या नहीं, जानने के लिए शीलेश ने लोगों की मदद से नलिनी को फंदे से नीचे उतारा. लेकिन तब तक उस की मौत हो चुकी थी.
किसी ने इस की सूचना थाना जसराना को दे दी. सूचना मिलने पर थानाप्रभारी मुनीश चंद्र और सीओ प्रेमप्रकाश यादव मौके पर पहुंच गए. कमरे से कोई सुसाइड नोट वगैरह नहीं मिला. पुलिस ने शव का निरीक्षण करने के बाद उसे पोस्टमार्टम के लिए जिला चिकित्सालय भेज दिया.
इस के बाद पुलिस ने मृतका के घर वालों से बात की तो पति शीलेश ने आरोप लगाया कि अगर पुलिस समय रहते काररवाई करती तो नलिनी को शायद आत्महत्या नहीं करनी पड़ती. इस के लिए गुनहगार वे लोग भी हैं, जिन के खिलाफ नलिनी ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी.