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चंदन से शादी के बाद उस के 2 साल अच्छे से गुजरे, ठीक वैसे ही जिस तरह से वह पहली शादी के पहले सपने देखा करती थी. पर यह शादी नहीं एक सौदा था, जिस के तहत तनु ने अपने पहले पति से गुजारे के लिए लिए गए 5 लाख रुपए बतौर दहेज चंदन को दे रखे थे.

लेकिन यहां भी दोनों के बीच वादविवाद और झगड़े होने लगे. चंदन का मकसद तनु की जवानी और खूबसूरती भोगना था, जो पूरा हो गया था. एक साल बाद ही इन के यहां एक बेटी हुई, जिस का नाम विनी रखा गया. चंदन का बदलता बर्ताव और बेरुखी देख कर तनु को समझ आने लगा कि इस से अच्छा तो वह दुकानदार पति ही था, जो उस का पूरा ध्यान रखता था.

झगड़े इतने बढ़ गए कि दोनों का साथ रहना दूभर हो गया. ऐसे में सास राजकुमारी ने तनु की परेशानी हल की. उस ने उसे समझाया कि जब चंदन से नहीं पट रही है तो उसे तलाक दे दो और एवज में 10 हजार रुपए हर महीने लेती रहो.

तनु के मायके वालों का जी उस की हरकतों के चलते पहले ही उचट चुका था, लिहाजा उन्होंने उस की दूसरी शादी के विवाद में न कोई दखल दिया और न ही दिलचस्पी दिखाई. चंदन को तलाक दे कर तनु अलग गोयलनगर के अपार्टमेंट अड़ोसपड़ोस के फ्लैट नंबर 103 में बेटी के साथ रहने लगी.

रिश्तों की ऐसी सौदेबाजी टीवी धारावाहिकों में ही देखने को मिलती है. तनु ने पहले पति से एकमुश्त 5 लाख रुपए लिए थे और दूसरे से 10 हजार रुपए महीना ले रही थी. एक तरह से यह देह की या यौनसुख की कीमत वसूलने जैसी बात थी, जिस का कोई अफसोस या ग्लानि उसे नहीं थी.

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