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शोभाराम ने नफरत से दोनों लाशों को देखा. फिर वहीं बैठ कर बीड़ी सुलगा कर पीने लगा. एक लाश उस की पत्नी रागिनी की थी और दूसरी रिंकू की थी. छत पर उस ने दोनों को रंगेहाथ रंगरलियां मनाते पकड़ा था. उस के बाद उस ने दोनो की ईंट से सिर कूंच कर हत्या कर दी थी.

बीड़ी के कश के साथ शोभाराम के मन में तरहतरह के विचार आजा रहे थे. इन्हीं विचारों के बीच शोभाराम ने जेब में पड़ा मोबाइल निकाला और पुलिस कंट्रोल रूम के 112 नंबर पर काल की. उस समय रात के 12 बज रहे थे और आसमान में बादल गरज रहे थे.

शोभाराम की काल डायल 112 के एसआई पंकज मिश्रा ने रिसीव की. उन्होंने पूछा, ''बताइए, आप को क्या परेशानी है? आप कौन और कहां से बोल रहे हैं?’‘

''साहब, मेरा नाम शोभाराम दोहरे है. मैं गांव नंदपुर से बोल रहा हूं. मैं ने डबल मर्डर किया है. आप जल्दी से आ कर मुझे गिरफ्तार कर लो.’‘

शोभाराम के मुंह से डबल मर्डर की बात सुन कर पंकज मिश्रा दंग रह गए. फिर वह सोचने लगे, 'कहीं शोभाराम शराबी तो नहीं और नशे में गुमराह कर रहा है.Ó अत: वह कड़कदार आवाज में बोले, ''इतनी रात बीतने के बावजूद अभी तक तेरा नशा उतरा नहीं, जो डबल मर्डर की सूचना दे रहा है.’‘

''साहब, मैं शराबी नही हूं. मैं पूरे होशोहवास में हूं. मैं सच बोल रहा हूं. मैं ने रागिनी और उस के प्रेमी रिंकू यादव को मार डाला है. दोनों लाशें मेरे मकान की छत पर पड़ी हैं. यकीन हो तो आ जाइएगा.’‘

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