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सार्थक के सपनों में लगी सेंध

सार्थक ने अपूर्वा को ले कर न जाने क्या सपने देख रखे थे. अपूर्वा की बातें सुन कर उस का दिल टूट गया. वह अच्छी तरह समझ गया था कि वह अपूर्वा के लिए नहीं बना है.

उस ने लौट कर ये बातें अमर शिंदे को बताईं तो शिंदे ने उसे समझाया, ‘‘तू भूल क्यों नहीं जाता अपूर्वा को. ढूंढने निकलेगा तो सैकड़ों लड़कियां मिलेंगी.’’ लेकिन सार्थक ने दो शब्दों में उस की बात पर पानी फेर दिया, ‘‘उन में अपूर्वा तो नहीं होगी न?’’

सार्थक भावुक लड़का था. अपूर्वा की बात उस ने दिल से लगा ली. उस ने अपनी फेसबुक वाल पर अमर को संबोधित कर के लिखा, ‘‘यार, अगर मुझे कुछ हो गया तो मेरी मौत पर कोई रोने वाला भी नहीं होगा.’’

इस के जवाब में अमर शिंदे ने लिखा, ‘‘अगर तुझे कुछ हुआ तो मैं सारी दुनिया को रुलाऊंगा.’’

उस वक्त अमर को इस बात का जरा भी आभास नहीं था कि उस का दोस्त सार्थक दिल की लगी को दिमाग पर हावी कर लेगा. अपूर्वा ने भी नहीं सोचा था कि सार्थक उस की बातों को इतनी गंभीरता से लेगा. आखिर हुआ वही जो किसी ने नहीं सोचा था. 23 जुलाई, 2018 को सार्थक ने आत्महत्या कर ली.

मामला थाना ढोकी क्षेत्र का था. सार्थक के पिता बालासाहेब ने थाना ढोकी में अपने बेटे सार्थक को आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाते हुए अपूर्वा और मौली घोपल के खिलाफ रिपोर्ट लिखाई. पुलिस ने भादंवि की धारा 306 के अंतर्गत केस दर्ज कर के अपूर्वा और मौली घोपल को 24 जुलाई, 2018 को गिरफ्तार कर लिया. लेकिन जल्दी ही दोनों को जमानत मिल गई.

सार्थक के आत्महत्या करने से उस के परिवार को तो गहरा धक्का लगा ही, अमर शिंदे को भी बहुत दुख हुआ. सार्थक उस का जिगरी दोस्त था. अपूर्वा ने उस के दोस्त की भावनाओं से खिलवाड़ किया था, इसलिए अमर को अपूर्वा की शक्ल से नफरत हो गई.

सार्थक की मौत और अपूर्वा के जेल जाने के बाद इस बात को खत्म हो जाना चाहिए था. लेकिन ऐसा नहीं हो सका.

अक्तूबर, 2018 के दूसरे हफ्ते की बात है. फर्स्ट ईयर के पहले एग्जाम के बाद छुट्टी मिली तो अपूर्वा अपने घर लातूर आई. वह चूंकि अनंतराव यादव और मोहिनी यादव की एकलौती संतान थी, इसलिए उस के आने पर घर में बहार सी आई जाती थी.

अपूर्वा की जिंदगी का आखिरी अध्याय

19 अक्तूबर, 2018 को दशहरा था. उस से पहले नवरात्रि के व्रत चल रहे थे. अपूर्वा की मां मोहिनी भी नवरात्रि के व्रत रख रही थीं. 16 अक्तूबर को मोहिनी को मंदिर जाता था. वह साढ़े 11 बजे मंदिर चली गईं. उस समय अपूर्वा घर में ही थी. लौटने में आधा घंटा लग गया. मोहिनी 12 बजे जब विशालनगर के संदीप अपार्टमेंट स्थित अपने घर पहुंची तो घर के बाहर कुंडी लगी देख चौंकी. वजह अपूर्वा घर में थी, अगर उसे कहीं बाहर जाना होता तो वह इस तरह बाहर से कुंडी लगा कर कभी नहीं जाती.

बात परेशानी की थी. मोहिनी कुंडी खोल कर जल्दी से अंदर गईं. लेकिन वहां का हाल देख उन का रोमरोम कांप उठा. अपूर्वा हौल में लहूलुहान पड़ी थी. बेटी की हालत देख मोहिनी के हाथों से पूजा की थाली छूट कर गिर गई. वह रोतेचिल्लाते हुए बाहर की ओर भागीं. पासपड़ोस के लोगों ने उन की आवाज सुनी तो बाहर निकल आए.

कुछ लोगों ने अंदर जा कर देखा तो उन के भी होश उड़ गए. अपूर्वा के पिता अनंत राव उस दिन अपूर्वा की फीस भरने उस के जामखंडी, कर्नाटक स्थित मैडिकल कालेज गए थे. किसी ने फोन कर के उन्हें भी सूचना दे दी और पुलिस को भी.

अपूर्वा के साथ जो भी हुआ था, उसे हुए ज्यादा देर नहीं हुई थी. कुछ लोगों ने अपूर्वा की मां मोहिनी को संभाला और कुछ लोग खून से लथपथ अपूर्वा को उठा कर पास के ही एक प्राइवेट अस्पताल ले गए. लेकिन मामला चूंकि गंभीर अपराध से जुड़ा था, इसलिए अस्पताल ने अपूर्वा को सरकारी अस्पताल भेज दिया. सरकारी अस्पताल के डाक्टरों ने देखने के बाद अपूर्वा को मृत घोषित कर दिया.

अस्पताल से इस मामले की सूचना थाना  एमआईडीसी को दी गई. सूचना मिलते ही सीनियर इंसपेक्टर अशोक माली अपनी पुलिस टीम के साथ अस्पताल के लिए रवाना हो गए. उन्होंने अपने वरिष्ठ अधिकारियों और फोरैंसिक टीम को भी सूचित कर दिया था.

अस्पताल जा कर इंसपेक्टर अशोक माली ने डाक्टरों ने बयान लिए और अपूर्वा की डैडबौडी का परीक्षण किया. अपूर्वा के गले पेट और शरीर के अन्य कई हिस्सों पर गहरे घाव थे. निस्संदेह उस पर किसी तेज धार वाले हथियार से वार किए गए थे. ऐसा लगता था जैसे उस पर वार करने वाले को उस से गहरी नफरत रही हो.

जो लोग पूर्वा को अस्पताल ले कर आए थे, पुलिस ने उन से भी पूछताछ की. इस के बाद उस के शव को पोस्टमार्टम के लिए मोर्चरी भेज दिया गया. इस के बाद इंसपेक्टर माली अपनी टीम के साथ अपूर्वा के संदीप अपार्टमेंट स्थित घर (घटनास्थल) पर पहुंचे. तब तक अपूर्वा के पिता अनंत राव यादव भी कर्नाटक जामखंडी से लौट आए थे.

पुलिस के लिए आसान नहीं था, हकीकत को समझना

पुलिस टीम घटनास्थल का निरीक्षण कर ही रही थी कि एसपी राजेंद्र माने और क्राइम ब्रांच के डीसीपी काका साहेब डोले भी आ गए. महाराष्ट्र में चूंकि किसी भी बडे़ अपराध में क्राइम ब्रांच समानांतर जांच करती है, इसलिए क्राइम ब्रांच के इंसपेक्टर सुनील नागर गोजे भी अपनी टीम के साथ मौकाएवारदात पर आ गए. फोरैंसिक टीम भी आ गई थी.

सभी ने अपनेअपने हिसाब घटनास्थल का मुआयना किया. साथ ही पासपड़ोस के लोगों से भी पूछताछ की. अपूर्वा की मां मोहिनी और पिता अनंतराव यादव से भी पूछताछ की गई.

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