महानगर मुंबई से करीब 120 किलोमीटर की दूरी पर स्थित पुणे शहर में 21 नवंबर, 2018 को 2-2 जगहों पर हुई गोलीबारी ने शहर के लोगों के दिलों में डर पैदा कर दिया था. इस गोलीबारी में एक महिला की मौत हो गई थी और क्राइम ब्रांच का एक अधिकारी घायल हो गया था. उस अधिकारी की हालत गंभीर बनी हुई थी.
घटना चंदन नगर थाने के आनंद पार्क इंद्रायणी परिसर की सोसायटी स्थित धनदीप इमारत के अंदर घटी. सुबह के समय 3 गोलियां चलने की आवाज से वहां रहने वाले लोग चौंके. गोलियों की आवाज इमारत की पहली मंजिल और दूसरी मंजिल के बीच बनी सीढि़यों से आई थी.
आवाज सुनते ही पहली और दूसरी मंजिल पर रहने वाले लोग अपने फ्लैटों से बाहर निकल आए. वहां का दृश्य देख कर उन का कलेजा मुंह को आ गया. सीढि़यों पर एकता बृजेश भाटी नाम की युवती खून से लथपथ पड़ी थी. वह पहली और दूसरी मंजिल के 3 फ्लैटों में अपने परिवार के साथ किराए पर रहती थी. शोरशराबा सुन कर इमारत में रहने वाले अन्य लोग भी वहां आ गए.
लोग घायल महिला को अस्पताल ले गए, लेकिन डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. अस्पताल द्वारा थाना चंदन नगर पुलिस को सूचना दे दी गई.
सुबहसुबह इलाके में घटी इस सनसनीखेज घटना की खबर पा कर थाना चंदन नगर के थानाप्रभारी राजेंद्र मुलिक अपनी टीम के साथ अस्पताल की तरफ रवाना हो गए. अस्पताल में राजेंद्र मुलिक को पता चला कि एकता भाटी को उस के फ्लैट पर ही गोलियां मारी गई थीं. डाक्टरों ने बताया कि एकता को 2 गोलियां लगी थीं. एक गोली उस के पेट में लगी थी और दूसरी सिर को भेदते हुए आरपार निकल गई थी. थानाप्रभारी अस्पताल में 2 कांस्टेबलों को छोड़ कर घटनास्थल पर पहुंच गए.
वहां जाने पर यह जानकारी मिली कि मृतका एकता भाटी सुबह अपने परिवार वालों के साथ चायनाश्ता के लिए अपनी पहली मंजिल वाले फ्लैट में दूसरी मंजिल से आ रही थी. उस का पति बृजेश भाटी 5 मिनट पहले ही नीचे आ चुका था. वह अपने पिता और बच्चों के साथ बैठा पत्नी के आने का इंतजार कर रहा था. उसी समय यह घटना घटी.
थानाप्रभारी ने मुआयना किया तो एक गोली का निशान सीढि़यों के पास दीवार पर मिला. इस का मतलब हमलावर की एक गोली दीवार पर लगी थी. बृजेश भाटी ने पुलिस को बताया कि उन्होंने 3 गोलियां चलने की आवाज सुनी थी.
मामला काफी संगीन था, अत: थानाप्रभारी राजेंद्र मुलिक ने मामले की जानकारी अपने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ पुलिस कंट्रोल रूम और फोरैंसिक टीम को भी दे दी. सूचना पाते ही शहर के डीसीपी घटनास्थल पर पहुंच गए. फोरैंसिक टीम ने मौके से सबूत जुटाए. पुलिस अधिकारियों ने भी घटनास्थल का निरीक्षण किया.
पुलिस समझ नहीं पाई हत्या का कारण
मौके की काररवाई निपटाने के बाद थानाप्रभारी फिर से अस्पताल पहुंचे और एकता भाटी के शव को पोस्टमार्टम के लिए पुणे के ससून डाक अस्पताल भेज दिया.
मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस के उच्च अधिकारियों ने आपातकालीन बैठक बुलाई, जिस में शहर के कई थानों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथसाथ क्राइम ब्रांच के डीसीपी शिरीष सरदेशपांडे भी शामिल हुए. मामले पर विचारविमर्श करने के बाद पुलिस ने अपनी जांच शुरू कर दी.
महानगर मुंबई हो या फिर पुणे, इन शहरों में छोटीबड़ी कोई भी घटना घटती है तो स्थानीय पुलिस के साथ क्राइम ब्रांच अपनी समानांतर जांच शुरू कर देती है. डीसीपी शिरीष सरदेशपांडे ने भी एकता भाटी की हत्या की गुत्थी सुलझाने के लिए 2 टीमें गठित कीं, जिस की कमान उन्होंने इंसपेक्टर रघुनाथ जाधव और क्राइम ब्रांच यूनिट-2 के इंसपेक्टर गजानंद पवार को सौंपी.
सीनियर अफसरों के निर्देशन में स्थानीय पुलिस और क्राइम ब्रांच ने तेजी से जांच शुरू कर दी. उन्होंने सब से पहले पूरे शहर की नाकेबंदी करवा कर अपने मुखबिरों को सजग कर दिया.
मृतक एकता भाटी का परिवार दिल्ली का रहने वाला था, इसलिए मामले के तार दिल्ली से भी जुड़े होने का संदेह था. इस के साथसाथ उन्होंने घटना की तह तक पहुंचने के लिए आसपास लगे सारे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज को खंगालना शुरू कर दिया.
पुलिस को इस से पता चला कि हत्यारे मोटरसाइकिल पर आए थे. वह मोटरसाइकिल पुणे वड़गांव शेरी के शिवाजी पार्क के सामने लावारिस हालत में खड़ी मिली. यह भी जानकारी मिली कि मोटरसाइकिल पुणे की मार्केट से चोरी की गई थी. मोटरसाइकिल वहां छोड़ कर वह सारस बाग की तरफ निकल गए थे. लिहाजा क्राइम ब्रांच की टीम हत्यारों की तलाश में जुट गई.
उसी दिन शाम करीब 4 बजे इंसपेक्टर गजानंद पवार की टीम को एक मुखबिर द्वारा खबर मिली कि चंदन नगर गोलीबारी के दोनों अभियुक्त पुणे रेलवे स्टेशन पर आने वाले हैं. वे प्लेटफार्म नंबर-3 से साढ़े 5 बजे छूटने वाली झेलम एक्सप्रैस से दिल्ली भागने वाले हैं.
धरे गए हत्यारे
यह खबर उन के लिए काफी महत्त्वपूर्ण थी. यह खबर अपने वरिष्ठ अधिकारियों को दे कर वह हत्या के आरोपियों की गिरफ्तारी की योजना तैयार करने में जुट गए. गाड़ी छूटने के पहले उन्हें अपना मोर्चा मजबूत करना था, इसलिए उन्होंने इस मामले की खबर चंदन नगर पुलिस के साथसाथ वड़गांव पुलिस और पुणे स्टेशन की जीआरपी को भी दे दी.
इंसपेक्टर गजानंद पवार अपनी टीम और क्राइम ब्रांच के इंसपेक्टर रघुनाथ जाधव की टीम ने पुणे रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर-3 पर खड़ी झेलम एक्सप्रेस पर शिकंजा कस दिया. स्थानीय पुलिस टीम भी रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर-3 पर नजर रखे हुए थी, जबकि इंसपेक्टर गजानंद पवार कांस्टेबल मोइद्दीन शेख के साथ स्टेशन के सीसीटीवी के कैमरों के कंट्रोल रूम में बैठ कर आनेजाने वाले मुसाफिरों को बड़े ध्यान से देख रहे थे.
जैसेजैसे गाड़ी के छूटने का समय नजदीक आ रहा था, वैसेवैसे उन की बेचैनी बढ़ती जा रही थी. एक बार तो उन्हें लगा कि शायद अभियुक्तों ने अपना इरादा बदल दिया होगा. लेकिन दूसरे ही क्षण उन की निगाहें चमक उठीं. गाड़ी छूटने में सिर्फ 10 मिनट बचे थे, तभी उन्होंने बदहवासी की हालत में 2 संदिग्ध लोगों को तेजी से बोगी नंबर-9 की तरफ बढ़ते हुए देखा.
यह समय पुलिस के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण था. इंसपेक्टर गजानंद पवार ने पुलिस टीमों को सावधान कर दिया. वह खुद कोच नंबर 9 के पास पहुंच गए. उन्होंने आगे बढ़ कर उन दोनों को डिब्बे में चढ़ने से रोक लिया और उन से अपनी आईडी दिखाने को कहा. उन में से एक ने अपनी आईडी दिखाने के बहाने अपनी जेब से रिवौल्वर निकाला और इंसपेक्टर गजानंद पवार को अपना निशाना बना कर 3 गोलियां चला दीं.
अचानक चली गोली से इंसपेक्टर पवार ने खुद को बचाने की कोशिश की लेकिन एक गोली उन के जबड़े में लग गई. दूसरी गोली उन के कंधे को टच करती हुई निकली जो एक आदमी को जा कर लगी.
प्लेटफार्म पर चली गोलियों की आवाज से स्टेशन पर मौजूद मुसाफिरों में भगदड़ मच गई. इसी भगदड़ का लाभ उठा कर बदमाश अपनी रिवौल्वर लहराते हुए भागने लगे. लेकिन इस में सफल नहीं हो सके. कुछ दूरी पर मुस्तैद इंसपेक्टर रघुनाथ जाधव ने दौड़ कर इंसपेक्टर गजानंद पवार को संभाला.
अन्य पुलिस वाले हमलावरों के पीछे भागे. स्टेशन से निकल कर दोनों हमलावर सड़क पर भागने लगे. पुलिस भी उन के पीछे थी. सड़क पर चल रही भीड़ की वजह से पुलिस उन पर गोली भी नहीं चला सकती थी. तभी मालधक्का रेडलाइट पर तैनात बड़ गार्डन ट्रैफिक पुलिस के कांस्टेबल राजेंद्र शेलके ने एक हमलावर को दबोच लिया. दूसरे को जीआरपी ने पकड़ कर क्राइम ब्रांच के हवाले कर दिया.
हमलावरों की गोली से घायल इंसपेक्टर गजानंद पवार और घायल आदमी को पास के ही रूबी अस्पताल में भरती करवा दिया गया था, जहां घायल आदमी की मृत्यु हो गई थी, जबकि इंसपेक्टर गजानंद पवार की हालत नाजुक बनी हुई थी.
सुपारी ले कर बाप बेटे ने की हत्या
पकड़े गए हमलावरों से पूछताछ की गई तो उन में से एक ने अपना नाम शिवलाल उर्फ शिवा बाबूलाल राव बताया जबकि दूसरा उस का 19 वर्षीय बेटा मुकेश उर्फ मोंटी शिवलाल राव था. दोनों ही मूलरूप से राजस्थान के पाली जिले के रहने वाले थे, पर फिलहाल दिल्ली के उत्तम नगर में रहते थे. उन्होंने एकता भाटी की हत्या करने का अपराध स्वीकार किया.
क्राइम ब्रांच को दोनों हमलावरों से गहन पूछताछ करनी थी, इसलिए दूसरे दिन उन्हें पुणे के प्रथम मैट्रोपौलिटन मजिस्ट्रैट गजानंद नंदनवार के सामने पेश कर उन्हें 7 दिन के पुलिस रिमांड पर ले लिया.
रिमांड अवधि में उन से पूछताछ की गई तो पता चला कि मृतका एकता के पति बृजेश भाटी का दिल्ली की किसी महिला के साथ प्रेम प्रसंग चल रहा था. यानी एकता पति की प्रेमकहानी की भेंट चढ़ी थी. इस हत्याकांड के पीछे की जो कहानी निकल कर आई, वह बेहद दिलचस्प थी.
बात सन 2014 की थी. उस समय भाटी परिवार दिल्ली में रहता था. उन का अपना छोटा सा कारोबार था, जिस की देखरेख एकता भाटी और पति बृजेश भाटी करते थे. आमदनी कुछ खास नहीं थी, बस किसी तरह परिवार की गाड़ी चल रही थी. लेकिन ऐसा कितने दिनों तक चल सकता था. इसे ले कर दोनों पतिपत्नी अकसर परेशान रहते थे.
वे अच्छी आमदनी के लिए गूगल पर सर्च करते रहते थे. इसी खोज में बृजेश भाटी की संध्या पुरी से फेसबुक पर दोस्ती हो गई. दोनों की यह दोस्ती बहुत जल्द प्यार में बदल गई. संध्या पुरी खूबसूरत युवती थी. बृजेश भाटी ने अपने फेसबुक प्रोफाइल में खुद को अनमैरिड लिखा था, जबकि वह शादीशुदा और 2 बच्चों का बाप था.
पति का इश्क बना एकता की मौत का कारण
बृजेश भाटी को अनमैरिड जान कर ही संध्या पुरी ने उस की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाया था. संध्या पुरी बृजेश भाटी को ले कर खुशहाल जीवन के सुनहरे सपने देखने लगी थी. संध्या पुरी के इस अंधे प्यार का चतुर चालाक बृजेश भाटी ने भरपूर फायदा उठाया. उस ने संध्या पुरी से शादी का वादा कर उस से काफी पैसा ऐंठा. साथ ही उस ने संध्या की कार भी हथिया ली थी.
इस तरह बृजेश भाटी संध्या पुरी के पैसों पर मौज कर रहा था. जब संध्या पुरी ने बृजेश पर शादी का दबाव डालना शुरू किया तो वह योजनानुसार संध्या पुरी की कार बेच कर परिवार सहित पुणे चला गया.
पुणे जाने के बाद बृजेश और एकता ने कैटरिंग का काम शुरू किया. शुरूशुरू में उन के लिए यह काम कठिन था लेकिन धीरेधीरे सब ठीक हो गया. उन की और परिवार की मेहनत से थोड़े ही दिनों में उन का यह कारोबार चल निकला. उन्होंने पुणे की कई आईटी कंपनियों में अपनी एक खास जगह बना ली थी.
उन कंपनियों के खाने के डिब्बों की जिम्मेदारी उन के ऊपर आ गई थी. उन के खाने में जो टेस्ट था, वह किसी और के डिब्बों में नहीं था.
काम बढ़ा तो पैसा आया और पैसा आया तो उन के परिवार का रहनसहन बदल गया. उन्होंने पुणे के पौश इलाके की धनदीप बिल्डिंग में 3 फ्लैट किराए पर ले लिए. 2 फ्लैट बिल्डिंग की पहली मंजिल पर थे तो एक दूसरी मंजिल पर था. दूसरी मंजिल के फ्लैट को उन्होंने अपना बैडरूम बनाया. पहली मंजिल का एक फ्लैट उन्होंने अपने दोनों बच्चों और पिता के लिए रखा.
दूसरे फ्लैट को उन्होंने खाने का मेस बना लिया. मेस में काम करने के लिए नौकर और नौकरानी भी रख ली थी, जो खाना बनाने और टिफिन तैयार करने का काम किया करते थे. सुबह की चायनाश्ता पूरा परिवार साथसाथ नीचे वाले फ्लैट में करता था.
बृजेश के शादीशुदा होने की जानकारी जब संध्या पुरी को हुई तो उस के पैरों तले से जमीन खिसक गई. क्योंकि वह बृजेश को दिलोजान से चाहती थी. उस ने सपने में भी नहीं सोचा था कि जिस शख्स पर उस ने अपना तन, मन और धन सब कुछ न्यौछावर कर दिया, वह 2 बच्चों का बाप है.
संध्या को इस का बहुत दुख हुआ. वह ऐसे धोखेबाज को सबक सिखाना चाहती थी, लेकिन वह दिल्ली से फरार हो चुका था. संध्या हार मानने वालों में से नहीं थी. उस ने निश्चय कर लिया कि वह बृजेश भाटी को ढूंढ कर ही रहेगी. इस के लिए भले ही उस के कितने भी पैसे खर्च हो जाएं. लिहाजा वह अपने स्तर से बृजेश को तलाशने लगी.
उस की कोशिश रंग लाई. उसे फरवरी 2017 में पता चल गया कि बृजेश इस समय पुणे में अपने परिवार के साथ रह रहा है. वह उस के पास पुणे चली गई. वहां वह उस के घर वालों से भी मिली. पहले तो बृजेश ने संध्या को पहचानने से इनकार कर दिया लेकिन जब उस ने अपने तेवर दिखाए तो वह लाइन पर आ गया.
संध्या ने जब शादी की बात कही तो उस ने शादी करने से इनकार कर दिया. उस समय बृजेश की पत्नी एकता ने संध्या को बुरी तरह बेइज्जत कर के घर से निकाल दिया था.
इस से नाराज और दुखी हो कर संध्या दिल्ली लौट आई. बृजेश को सबक सिखाने के लिए उस के खिलाफ उत्तम नगर थाने में बलात्कार और धोखाधड़ी की रिपोर्ट दर्ज करवा दी. रिपोर्ट दर्ज हो जाने के बाद दिल्ली पुलिस ने बृजेश भाटी को पुणे से गिरफ्तार कर तिहाड़ जेल भेज दिया. करीब डेढ़ महीने जेल में रहने के बाद वह जमानत पर बाहर आ गया तो संध्या पुरी ने उस से अपनी कार और पैसों की मांग शुरू कर दी.
इस पर बृजेश भाटी के परिवार वालों और संध्या पुरी में जम कर तकरार हुई थी. तब संध्या ने धमकी दी कि अगर उस की कार और पैसे वापस नहीं मिले तो पूरे परिवार को नहीं छोड़ेगी. भाटी परिवार ने इसे संध्या पुरी की एक कोरी धमकी समझा था.
बृजेश भाटी से छली जा चुकी संध्या पुरी ने भाटी परिवार को सबक सिखाने का फैसला कर लिया. वह उसे साकार करने में जुट गई थी. वह जिस तरह तड़प रही थी, उसी तरह धोखेबाज बृजेश को भी तड़पते देखना चाहती थी. इस काम में उस के एक जानपहचान वाले शख्स ने उस की मदद की. उस ने संध्या को आपराधिक प्रवृत्ति वाले शिवलाल उर्फ शिवा बाबूलाल राव से मिलवाया.
पकड़ में आई हत्या कराने वाली प्रेमिका
संध्या पुरी बृजेश भाटी की पत्नी एकता भाटी की हत्या कराना चाहती थी. इस के लिए उस ने शिवलाल उर्फ शिवा को मोटी सुपारी दी. सुपारी लेने के बाद शिवा अपने बेटे मुकेश उर्फ मोंटी राव के साथ पुणे पहुंच गया.
पुणे आ कर दोनों ने पहले बृजेश भाटी के घर की पूरी रेकी की और घटना के दिन उन्होंने पुणे मार्केट से एक मोटरसाइकिल चुरा ली और सुबहसुबह आ कर एकता भाटी को अपना निशाना बना कर वहां से भाग निकले. वे शहर से बाहर निकल जाना चाहते थे. लेकिन पुलिस के सक्रिय होने से वह पुणे में ही रह गए थे.
उन्हें पता था कि पुणे से शाम साढ़े 5 बजे दिल्ली के लिए झेलम एक्सप्रैस जाती है. इसी ट्रेन से उन्होंने दिल्ली भाग जाना उचित समझा, इसलिए शाम 4 बजे तक उन्होंने सारसबाग के एक होटल में समय बिताया. फिर वे प्लेटफार्म नंबर 3 पर खड़ी झेलम एक्सप्रैस में चढ़ने को हुए तो उन का सामना पुलिस से हो गया. शिवलाल ने शक होने पर गोली चला दी, जिस से इंसपेक्टर गजानंद पवार घायल हो गए.
शिवलाल उर्फ शिवा बाबूलाल राव और मुकेश उर्फ मोंटी राव से पूछताछ करने के बाद क्राइम ब्रांच की एक टीम संध्या पुरी को गिरफ्तार करने दिल्ली निकल गई. 26 नवंबर, 2018 को दिल्ली में उत्तम नगर पुलिस की सहायता से संध्या पुरी को भी गिरफ्तार कर लिया. पुलिस संध्या को पुणे ले गई.
पूछताछ के बाद संध्या पुरी ने पूरी कहानी बता दी.॒पुलिस ने संध्या पुरी, शिवलाल और उस के बेटे मुकेश उर्फ मोंटी को कोर्ट में पेश कर के यरवदा जेल भेज दिया. कथा लिखे जाने तक तीनों अभियुक्त जेल में बंद थे. आगे की जांच चंदन नगर थानाप्रभारी राजेंद्र मुलिक कर रहे थे.
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित