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रीनू ने पड़ोसी जीशान को फोन कर के घर बुला लिया. उस ने मुन्ना को देख कर कहा, ‘‘यह एक गंभीर चर्मरोग है. इस की दवा मुझे मालूम नहीं है. ऐसा करो, तुम मेरे कमरे पर आ जाओ. मैं लैपटौप में देख कर इस के लिए दवा लिख देता हूं.’’  यह कह कर जीशान चला गया.

मुन्ना की पीठ में निकले दानों में भयंकर जलन हो रही थी. उस की परेशानी रीनू से देखी नहीं जा रही थी. घर में उस के अब्बा या कोई भाई नहीं था, इसलिए मजबूरी में उसे ही जीशान के कमरे पर जाना पड़ा. जून की भयंकर गरमी में चौथी मंजिल तक सीढि़यां चढ़तेचढ़ते उस की जुबान सूख गई. कमरे में सामने ही मेज पर पानी की बोतल रखी थी. रीनू ने पानी पीने के लिए जैसे ही बोतल उठाई, जीशान ने कहा, ‘‘यह जूठी है, इसलिए इस का पानी तुम्हारे पीने लायक नहीं है. मैं तुम्हारे लिए नीचे से दूसरा ठंडा पानी लाए देता हूं.’’

जीशान भाग कर नीचे गया और रीनू के लिए एक गिलास ठंडा पानी ले आया. उसे पीते ही रीनू को चक्कर सा आया और वह बेहोश हो कर गिर पड़ी. इस के बाद उस के साथ क्या हुआ, उसे पता नहीं चला. थोड़ी देर बाद उसे होश आया तो वह दवा की पर्ची ले कर घर आ गई. जब उस के ऊपर से बेहोशी का असर पूरी तरह से हटा तो उसे लगा कि जीशान ने उसे पानी में कोई नशीली चीज पिला कर उस के साथ गलत काम किया है. उस के साथ क्या हुआ होगा, वह जान तो गई, लेकिन वह शादीशुदा थी, इसलिए इज्जत ही नहीं, अपनी गृहस्थी बचाए रखने के लिए उस ने यह बात किसी से नहीं कही.

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