Mumbai : तमाम लड़केलड़कियों की तरह आंखों में फिल्मी दुनिया के सपने सजा कर मानसी दीक्षित मुंबई गई थी. उसे काम मिलने भी लगा था, लेकिन मुजम्मिल उस के सपनों को ही नहीं उसे भी निगल गया…
15 अक्तूबर, 2018 की दोपहर के करीब ढाई बजे मुंबई के मार्गों और बाजारों में अच्छीभली भीड़ थी. उसी वक्त मुंबई (Mumbai) के अंधेरी इलाके के मिल्लत नगर से एक ओला कैब निकली, जिस में एक युवक बैठा था. 19-20 साल का वह युवक घबराया हुआ सा लग रहा था. उस ने कैब सांताक्रुज एयरपोर्ट के लिए बुक कराई थी, लेकिन वहां जाने के बजाय वह जोगेश्वरी, गोरेगांव और मलाड की सड़कों पर घूमता रहा. आखिर में उस ने मलाड के ‘माइंडस्पेस’ के सामने कैब रुकवाई.
उस ने ड्राइवर को यह कह कर बिल चुकता कर दिया कि वह माइंडस्पेश में बैठ कर दोस्त का इंतजार करेगा और फिर दोनों आटोरिक्शा से एयरपोर्ट जाएंगे. उस युवक का सूटकेस डिक्की में रखा था. उस ने ड्राइवर को कह कर अपना सूटकेस निकलवाया, जो काफी भारी था. करीब 3 साल से कैब चला रहे ड्राइवर ने महसूस किया कि सूटकेस में उस युवक के वजन से भी ज्यादा वजन है. किराए के पैसे ले कर ड्राइवर आगे बढ़ गया, लेकिन लगभग 500 मीटर जाते ही उस के दिमाग को झटका लगा. टैक्सी में आए युवक के उसे न तो हावभाव सामान्य लगे और न ही एयरपोर्ट के लिए कैब बुक कर के इधरउधर भटकना.
साथ में भारी वजन का सूटकेस और माइंडस्पेस के सामने मैंग्रोव की झाडि़यों के पास उतरना. सब कुछ संदिग्ध लग रहा था. कुछ गड़बड़ लगी तो कैब ड्राइवर यू टर्न ले कर वापस आया. लेकिन तब तक वह युवक सूटकेस मैंग्रोव की झाडि़यों में फेंक कर जा चुका था. कैब ड्राइवर ने 4-5 लोगों को बुला कर सारी बात बताई और पुलिस कंट्रोल रूम को फोन कर दिया. मलाड का वह इलाका थाना बांगुर नगर में आता था. कंट्रोल रूम से यह खबर उच्चाधिकारियों और थाना बांगुर नगर थाने को दे दी गई. गश्त पर निकली थाने की पुलिस जिप्सी को तत्काल वहां पहुंचने को कहा गया.
सूचना पा कर थाना बांगुर नगर के थाना इंचार्ज विजय वाने ने ड्यूटी अफसर से इस मामले को डायरी में दर्ज करने को कहा और इंसपेक्टर अरविंद चंदन शिवे, सबइंसपेक्टर विनीत कदम, दिलीप काले, सिपाही राजू जाधव और संतोष देसाई को साथ ले कर मौके पर पहुंच गए. उन्होंने टैक्सी ड्राइवर से मोटीमोटी बातें पूछने के बाद सूटकेस को मैंग्रोव की झाडि़यों से बाहर निकलवाया. सूटकेस में निकला सनसनी का सामान पुलिस ने वहां मौजूद लोगों की उपस्थिति में सूटकेस को खुलवाया तो सभी हैरान रह गए. सूटकेस में एक युवती की लाश थी. करीब 20-21 साल की वह युवती देखने में काफी सुंदर थी और अच्छे परिवार की लग रही थी. कपड़े भी उस ने ब्रांडेड पहन रखे थे.
मृतका के सिर पर गहरा घाव था, जिस से साफ पता चल रहा था कि उस के सिर पर किसी भारी चीज से वार किया गया था. उस के गले पर भी गोलाई में डार्क कलर का निशान था, जिसे देख कर ऐसा लग रहा था जैसे गले में रस्सी डाल कर खींची गई हो. थानाप्रभारी विजय वाने ने शव का निरीक्षण किया और लाश को पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल भेज दिया. सूटकेस और रस्सी को पुलिस ने जाब्ते की काररवाई में शामिल कर लिया. काररवाई निपटा कर पुलिस थाने लौट आई. कैब ड्राइवर को पुलिस अपने साथ ले आई थी. उस से डीसीपी संग्राम सिंह निशानदार के समक्ष पूछताछ की गई. पूछताछ के बाद डीसीपी संग्राम सिंह निशानदार ने इस मामले की जांच इंसपेक्टर अरविंद चंदन शिवे को सौंप दी.
इंसपेक्टर अरविंद चंदन शिवे ने सीनियर अधिकारियों के निर्देश पर केस की जांच के लिए एक पुलिस टीम गठित की, जिस में उन्होंने असिस्टेंट इंसपेक्टर विनीत कदम, दिलीप काले, सिपाही राजू जाधव और संतोष देसाई को शामिल किया गया. पुलिस टीम के सामने सब से बड़ी चुनौती यह थी कि मुंबई जैसे महानगर में हत्यारे को कहां और कैसे खोजे, जबकि अभी तक यह ही पता नहीं था कि मृतक युवती रहती कहां थी और उस का नाम क्या था? इस काम में कैब ड्राइवर मदद कर सकता था, इसलिए पुलिस ने उसे साथ रखा.
स्कौटलैंड के बाद दूसरे नंबर पर आने वाली मुंबई पुलिस ने इस मर्डर मिस्ट्री को ओला कंपनी के बुकिंग नंबर और मौकाएवारदात से मिले सीसीटीवी कैमरों की फुटेज के आधार पर 4 घंटों में सुलझा लिया. ओला को बुकिंग नंबर से हत्यारे का पता और फोन नंबर मिल गए थे, जिस से पुलिस को उस तक पहुंचने में कोई परेशानी नहीं हुई. पुलिस टीम ने जिस समय अभियुक्त के घर पर छापा मारा, उस समय वह घर के अंदर अकेला था और अपने गुनाह के साक्ष्यों को मिटाने की कोशिश कर रहा था. पुलिस टीम ने उस घर को सील कर के उसे अपनी गिरफ्त में ले लिया. घटनास्थल से सबूत जुटा कर पुलिस उसे अपने साथ थाने ले आई. पूछताछ में उस ने अपना नाम मुजम्मिल इब्राहिम सईद बताया और मृतका का नाम मानसी दीक्षित.
इस के पहले कि पुलिस पूछताछ के लिए अभियुक्त को रिमांड पर ले पाती, यह खबर मीडिया में लीक हो गई. इस के बाद तो इलैक्ट्रौनिक और सोशल मीडिया ने इस खबर को देश भर में फैला दिया. घर वाले पहुंचे मुंबई (Mumbai) मानसी दीक्षित के घर वालों ने जब यह खबर टीवी पर देखी तो उन के होश उड़ गए. उस के घर में कोहराम मच गया. मानसी दीक्षित राजस्थान के कोटा शहर की स्टेशन रोड पर स्थित मंगलायन अपार्टमेंट के फ्लैट नंबर 602 की रहने वाली थी. उस के पिता का नाम ऋषि दीक्षित था, जो कोटा के रेलवे वर्कशाप में सर्विस करते थे. उन के परिवार में पत्नी पद्मा के अलावा 2 बेटियां थीं. बड़ी बेटी का नाम दीक्षा था और छोटी का नाम मानसी.
जैसेतैसे खुद को संभाल कर मानसी के घर वाले मुंबई के लिए रवाना हो गए. ऋषि दीक्षित की दोनों बेटियां पढ़ाईलिखाई में होशियार और महत्त्वाकांक्षी थीं. ऋषि दीक्षित दोनों बेटियों को पढ़ालिखा कर अच्छा जीवन देना चाहते थे. उन की मृत्यु के बाद उन का यह सपना उन की पत्नी पद्मा दीक्षित ने पूरा किया. बड़ी बेटी दीक्षा को उन के ही विभाग के डीआरएम औफिस में नौकरी मिल गई थी. जबकि छोटी बेटी मानसी दीक्षित कई साल के संघर्ष के बाद उस मुकाम पर पहुंची, जो उस के सपनों में था. मानसी बचपन से ही मौडलिंग और फिल्मों की दीवानी थी. जब कभी वह किसी मैगजीन या विज्ञापनों में किसी मौडल की तसवीर देखती तो उस की आंखों में भी वैसे ही सपने तैरने लगते थे.
उस की मां ब्यूटीशियन होने के नाते मानसी के मन और सपनों को आसानी से जान लेती थीं. उन्हें जब भी मौका मिलता, मानसी को अपने साथ पार्लर ले जातीं. बेटी को वह सुंदरता के सारे गुण सिखाया करती थीं. शुरू हुई मानसी के सपनों की उड़ान मां का सहयोग पा कर मानसी ने पूरी तरह अपना ध्यान मौडलिंग और फिल्मों की तरफ लगा दिया था. वह अपने स्कूल से ले कर कालेजों तक वहां होने वाले हर छोटेबड़े कल्चरल प्रोग्रामों में भाग लेती रही. कालेज की पढ़ाई खत्म होने के बाद मानसी पूरी तरह से मौडलिंग और बौलीवुड में कूद गई. उस ने फेसबुक और इंस्टाग्राम पर अपनी काफी तसवीरें डाल रखी थीं. मानसी ने अपनी फेसबुक प्रोफाइल में बैकग्राउंड इमेज लगाई थी, जिस में उस ने लिखा था— आई एम मी यानी मैं, मैं हूं. यह तुम कभी नहीं हो सकते.
जाहिर है मानसी ने यह शब्द किसी को चैलेंज करने के लिए लिखा था. यह बात 4 साल पहले की थी, जब वह महज 16 साल की थी. सोशल मीडिया में मानसी की एक से बढ़ कर एक ग्लैमरस तसवीरें पड़ी थीं. मिस कोटा की हैसियत से मानसी को मौडलिंग के छोटेमोटे काम भी मिलने लगे थे. लेकिन मानसी इस से खुश नहीं थी. उस का सपना मौडलिंग और बौलीवुड में ऊंचे स्थान तक जाने का था. उस का यह सपना मुंबई में ही पूरा हो सकता था. बहरहाल, मार्च 2018 में मानसी का मुंबई में रहने का सपना भी पूरा हो गया. उसे मुंबई की एक प्राइवेट कंपनी ए.के. टावर्स फाइनैंस ने बुलाया था. मुंबई में मानसी ने अंधेरी के शास्त्रीनगर में किराए का एक कमरा ले लिया और वहीं रहने लगी. खाली समय में मानसी सोशल मीडिया में बिजी रहती थी.
मानसी दीक्षित एक खूबसूरत, कमसिन और बोल्ड युवती थी. शायद यही वजह थी कि मुंबई के ग्लैमरस वर्ल्ड ने उसे हाथोंहाथ लिया. मौडलिंग, टीवी सीरियल, क्राइम पेट्रोल और कई म्यूजिक एलबमों के साथसाथ उसे बौलीवुड की शार्ट फिल्मों में भी काम मिलना शुरू हो गया. मानसी की खूबसूरती और बोल्डनैस उस की सफलता का राज थे. वह कई धारावाहिकों और एलबमों में नजर आई और यही वजह शायद उस की हत्या का कारण बनी. उस की मौत के बाद पुलिस ने जब उस का सोशल मीडिया एकाउंट खंगाला तो कई चौंका देने वाली बातें सामने आईं. पता चला कि इसी साल वह यूएई और थाईलैंड की सैर कर चुकी थी. अपने फेसबुक पेज पर उस ने एक जगह लिखा था, ‘मैं जब लोगों की जिंदगी से जाती हूं तो अपना निशान छोड़ जाती हूं. अच्छा हो या बुरा, कम से कम मुझे हमेशा याद तो रखेंगे.’
इस के साथ ही वह अपनी कमियां भी स्वीकार करती थी. उस ने अपने एक पुराने पोस्ट के लिए क्षमा मांगी थी और लिखा भी था, ‘मैं तुम्हारी तरह परफेक्ट नहीं हूं. मुझ में भी कमियां हैं. मुझे जिंदगी से अभी बहुत कुछ सीखना है लेकिन मैं अपने जीवन, अपने सफर का आनंद ले रही हूं. जीवन ने जो दिया, उसे स्वीकार कर रही हूं और भगवान की बहुत शुक्रगुजार हूं.’
इस से यह बात साफ थी कि मानसी एक खुले दिमाग की दिलखुश युवती थी. उसे दोस्ती करना और दोस्तों के साथ घूमनेफिरने, मस्ती करने में मजा आता था. साथ ही उसे अपने कैरियर से भी लगाव था. वह अपने परिवार से बहुत प्यार करती थी और उस की अहमियत भी अच्छी तरह समझती थी.
जहां एक तरफ मानसी अपनी मंजिल की ओर बढ़ रही थी, वहीं दूसरी तरफ मुजम्मिल इब्राहिम सईद के रूप में एक नाग उसे निकलने के लिए तैयार बैठा था. 19 वर्षीय मुजम्मिल इब्राहिम सईद हैदराबाद का रहने वाला था. उस के पिता सिराजु हसन सईद काफी समय पहले मर्चेंट नेवी में इंजीनियर थे. वहां से रिटायर होने के बाद उन्होंने मुंबई के जोगेश्वरी इलाके में मिल्लतनगर स्थित अल अहद इमारत की दूसरी मंजिल पर एक फ्लैट खरीद लिया था. अपने परिवार के साथ वह इसी फ्लैट में रहते थे. सिराजु हसन का संबंध हैदराबाद के एक रईस खानदान से था. इस खानदान की काफी बड़ी हवेली और जमीनें थीं. मुजम्मिल परिवार का एकलौता बेटा था, जिसे बड़े लाडप्यार से पाला गया था. सिराजु हसन उसे पढ़ालिखा कर अपनी तरह इंजीनियर बनाना चाहते थे. जबकि मुजम्मिल की पढ़ाईलिखाई में कोई रुचि नहीं थी.
परेशान हो कर सिराजु ने 5वीं कक्षा के बाद उसे आगे पढ़ने के लिए हैदराबाद में रह रहीं उस की नानी के पास भेज दिया. नानी की छत्रछाया में रह कर वह अपना ग्रैजुएशन पूरा कर पाता, इस के पहले ही उस के सिर से नानी का साया उठ गया. सोशल मीडिया के माध्यम से मिले मुजम्मिल और मानसी मानसी दीक्षित की तरह ही मुजम्मिल इब्राहिम भी सोशल मीडिया और बौलीवुड का दीवाना था. फेसबुक के माध्यम से उस ने जब मौडल मानसी को देखा तो उस के दिल में हलचल मचने लगी. उस ने मानसी से नजदीकियां बढ़ाने और दोस्ती के लिए अपना एक बढि़या प्रोफाइल तैयार कर के फेसबुक और इंस्टाग्राम पर डाला दिया. साथ ही मानसी को फ्रेंड रिक्वेस्ट भी भेज दी. मानसी उस से प्रभावित हो गई और उस ने मुजम्मिल की दोस्ती स्वीकार कर ली.
सोशल मीडिया पर काफी समय तक दोनों की दोस्ती चलती रही. मुजम्मिल ने मानसी से खुद को मौडलिंग में कामयाब युवक बताया था. सोशल मीडिया पर जब दोनों की दोस्ती गहरा गई तो वह अपनी मां के साथ घूमने के बहाने मुंबई आ गया और अपने एक कौमन दोस्त के साथ मानसी से मिला. इस के बाद जबतब दोनों मिलने लगे. कभी किसी रेस्तरां तो कभी किसी बिजनैस सेंटर पर इस बीच दोनों एकदूसरे से काफी घुलमिल गए थे. घटना के दिन 11 बजे जब मां अपनी एक सहेली से मिलने घर से बाहर गई तो मुजम्मिल ने मानसी को एक मौडलिंग कंपनी के लिए फोटो शूट करने के बहाने अपने फ्लैट पर बुला लिया.
जब मानसी उस के फ्लैट पर पहुंची तो मुजम्मिल ने इधरउधर की बातों के बाद उस के साथ सैक्स की इच्छा जताई और उस से अश्लील हरकतें करने लगा. मानसी ने इस सब का जम कर विरोध किया. जब वह फ्लैट से बाहर निकलने के लिए दरवाजे की तरफ बढ़ी तो मुजम्मिल ने डर कर पास पड़ा स्टूल उठा कर मानसी के सिर पर दे मारा, जिस से उस के सिर से खून बहने लगा. वह बेहोश हो कर फर्श पर गिर पड़ी. एक पल के लिए तो मुजम्मिल के दिल में मानसी के प्रति हमदर्दी जागी. वह मानसी को होश में लाने के लिए उस के मुंह पर पानी के छींटे मारने लगा. लेकिन जब मानसी को होश आने लगा तो उस के मन में बुरेबुरे खयाल खलबली मचाने लगे.
उस ने सोचा कि मानसी अगर पुलिस के पास चली गई तो वह कहीं का नहीं रहेगा. पुलिस, जेल और हथकड़ी की कल्पना करते हुए उस ने एक खतरनाक फैसला ले लिया. अपने आप को बचाने के लिए वह घर के अंदर रखी कपड़े सुखाने वाली रस्सी ले आया और उस से मानसी का गला घोंट दिया. सहेली के घर गई उस की मां कभी भी लौट कर आ सकती थीं. इस के पहले कि मां घर आएं, मुजम्मिल ने घर में रखे ट्रैवल सूटकेस में रस्सी सहित मानसी की लाश डाल दी और ठिकाने लगाने के लिए सांताकु्रज एयरपोर्ट जाने के लिए ओला कंपनी की एक कैब बुक कर ली. कैब आ गई तो उस ने ड्राइवर की मदद से ट्रैवल सूटकेस को कैब की डिक्की में रखवा लिया. फिर वह ओला कैब में बैठ कर सांताक्रुज एयरपोर्ट जाने के बजाए किसी सुनसान जगह तलाशने लगा.
कुछ समय इधरउधर भटकने के बाद उसे मलाड स्थित माइंडस्पेस के सामने वह जगह मिल गई. सूटकेस को वहां ठिकाने लगाने के बाद वह अपने घर लौट आया. घर आ कर उस ने फर्श पर फैले मानसी के खून की साफसफाई कर दी, गिराफ्तारी के बाद पूछताछ में मुजम्मिल पुलिस को सहयोग नहीं कर रहा था. वह अपने आप को निर्दोष बता कर बारबार अपना बयान बदल रहा था. लेकिन जब पुलिस ने थोड़ी सख्ती दिखाई तो वह टूट गया और उस ने अपना गुनाह कबूल कर लिया.
विस्तृत पूछताछ के बाद जांच अधिकारी इंसपेक्टर अरविंद चंदन शिवे ने उस के खिलाफ भादंवि की धारा 302, 201 के तहत मुकदमा दर्ज कर के उसे न्यायिक हिरासत में आर्थर रोड जेल भेज दिया.
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित