एक रोज अनस हाशमी दोपहर में प्रियंका के घर आया और चारपाई पर बैठ कर उस ने इधरउधर की बातें करने लगा. तभी अचानक वह उस के पास आ कर बोला, ''भाभी, तुम जानती हो कि तुम कितनी सुंदर हो?’’
अनस हाशमी की बात सुन कर पहले तो प्रियंका चौंकी, उस के बाद हंस कर बोली, ''मजाक अच्छा कर लेते हो.’’
''नहीं भाभी, ये मजाक नहीं है, तुम मुझे सचमुच बहुत अच्छी लगती हो. तुम्हें देखने को दिल चाहता है, तभी तो मैं तुम्हारे यहां आता हूं.’’ अनस ने मुसकराते हुए कहा.
अनस की बात सुन कर प्रियंका के माथे पर बल पड़ गए. उस ने कहा, ''तुम यह क्या कह रहे हो अनस? क्या मतलब है तुम्हारा?’’
''कुछ नहीं भाभी, तुम यहां बैठो और यह बताओ कि भाईजान कब आएंगे?’’
''उन्हें छुट्टी कहां मिलती है. तुम सब कुछ जानते तो हो, फिर भी पूछ रहे हो?’’ प्रियंका ने थोड़ा गुस्से में कहा.
''तुम्हारे ऊपर दया आती है भाभी, भाईजान को तो तुम्हारी फिक्र ही नहीं है. अगर उन्हें फिक्र होती तो इतने दिनों बाद घर न आते. वह चाहते तो यहीं कोई दूसरी नौकरी कर लेते.’’ यह कह कर अनस हाशमी ने जैसे प्रियंका की दुखती रग पर हाथ रख दिया.
इस के बाद प्रियंका के करीब आ कर वह उस का हाथ पकड़ते हुआ बोला, ''भाभी, अब तुम चिंता मत करो, सब कुछ ठीक हो जाएगा.’’
उस दिन अनस हाशमी के जाने के बाद प्रियंका देर तक उसी के बारे में सोचती रही कि आखिर अनस चाहता क्या है. उस रात प्रियंका को देर तक नींद भी नहीं आई.