भीड़ समझ नहीं पा रही थी कि रोते रोते आरती राजभर ने कमरे की ओर इशारा क्यों किया? आखिर वहां क्या हो सकता था? कुछ गांव वाले हिम्मत कर के कमरे की ओर बढ़े तो कमरे के अंदर का दिल दहला देने वाला नजारा देख कर कांप उठे.
फर्श पर चारों ओर खून फैला था और नंदिनी राजभर (Nandini Rajbhar) अपने ही खून में सनी पड़ी थी. किसी ने नंदिनी का कत्ल कर दिया था, वह मर चुकी थी. दिनदहाड़े नंदिनी (Nandini Rajbhar Murder) की हत्या की खबर सुनते ही वहां भीड़ जमा होने लगी थी.
हत्या किसी आम इंसान की नहीं हुई थी, बल्कि एक राजनीतिक पार्टी (Political Party) की प्रदेश महासचिव की हुई थी. देखते ही देखते पलभर में यह खबर जंगल में आग की तरह समूचे संतकबीर नगर (Sant Kabir Nagar) जिले में फैल गई थी. उसी भीड़ में से किसी ने पुलिस कंट्रोलरूम को फोन कर के घटना की सूचना दे दी थी.
उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के संतकबीर नगर जिले की कोतवाली थाने के अंतर्गत एक गांव पड़ता है (Digha) डीघा. इस गांव में अधिकांश लोग राजभर बिरादरी के रहते हैं. इसी गांव में बालकृष्ण राजभर अपने परिवार के साथ रहते थे. परिवार में पतिपत्नी के अलावा 2 बेटे थे, जो परदेश में जा कर कमाते थे.
क्षेत्र में बालकृष्ण की गिनती मजबूत हैसियतदार और बड़े काश्तकारों में होती थी. लेकिन उन का रहन सहन मध्यमवर्गीय परिवार जैसा ही था. उन्हें देख कर कोई यह नहीं कह सकता था कि वह दौलतमंद इंसान होंगे. इन्हीं की बहू थी नंदिनी राजभर, जो घरपरिवार और गांव समाज का नाम रोशन कर रही थी.