आगरा के एतमादुद्दौला थाना क्षेत्र निवासी गुलजारीलाल प्रजापति अपना पुश्तैनी धंधा कर के परिवार का भरणपोषण कर खुशहाल जिंदगी बिता रहा था. उस के काम में उस की पत्नी सोमवती और 3 बेटे भी हाथ बंटाते थे. एक बेटी थी जो घर के रोजाना के काम में मां का हाथ बंटाती थी. गुलजारीलाल के बेटे जवान हो गए तो पुश्तैनी धंधा छोड़ कर वे दूसरा काम करने लगे थे. फिर गुलजारीलाल ने कांच का सामान बनाने की एक फैक्ट्री में नौकरी कर ली.
बच्चे जवान थे तो उन की शादी के लिए रिश्ते भी आने लगे. मंझले बेटे विनोद की शादी फिरोजाबाद जिले के गांव मोहम्मदाबाद निवासी महेश की भतीजी अनीता से कर दी.
दरअसल अनीता के पिता रमेश और मां की मृत्यु उस समय हो गई थी, जब अनीता छोटी थी. तब उस के ताऊ महेश ने ही उस की और उस के भाईबहन की परवरिश की थी.
विनोद एक सीधासादा युवक था तो वहीं अनीता तेजतर्रार थी. ससुराल में वह खुश नहीं थी. गुलजारीलाल का संयुक्त परिवार था. अनीता को वहां घुटन हो रही थी. कुछ दिनों तक तो वह खामोश रही, पर उस ने पति पर जोर डालना शुरू कर दिया कि वह इस संयुक्त परिवार में नहीं रह सकती. वह अलग रहना चाहती है.
पत्नी की बात से विनोद हैरान था और परेशान भी. अपने परिवार से अलग होने की बात उस ने कभी सोची नहीं थी. ससुराल में सभी लोग अनीता का ठीक से खयाल रखते थे तो वह समझ नहीं पा रहे थे कि आखिर ऐसी क्या बात है जो वह अलग रहने की जिद कर रही है. बहरहाल, उन्होंने उसे किसी तरह समझाबुझा दिया.