कहानी के बाकी भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

सुलझने के बजाय उलझने लगी पुलिस की जांच

एसएचओ उपेंद्र कुमार ने हेमा की गुमशुदगी का मामला दर्ज करवा कर एसआई उपेंद्र को जांच सौंप दी. एसआई उपेंद्र ने गुमशुदगी के मामले में की जाने वाली औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद उस शोरूम में जा कर पूछताछ की, जहां हेमा काम करती थी.

वहां पता चला कि शाम को वह निकल गई थी, उस के बाद उस ने कोई संपर्क नहीं किया. दिक्कत यह थी कि हेमा का फोन लगातार बंद आ रहा था.

हेमलता चौधरी मूलरूप से मथुरा जिले की रहने वाली थी. शादी हो चुकी थी, लेकिन एक बच्चा होने के बाद पति ने उसे गलत चालचलन का आरोप लगा कर बिना बच्चे के घर से निकाल दिया था.

पति से अलग होने के बाद बेसहारा हुई हेमलता सूरजपुर इलाके में सुनारों वाली गली में बड़ी बहन मुमतेश के पास आ गई, जो वहां अपने परिवार के साथ रहती थी. गुजरबसर के लिए हेमा कुछ महीना पहले ग्रेटर नोएडा के गौर सिटी मौल के वेन हुसैन शोरूम में सेल्सगर्ल की नौकरी करने लगी.

इधर, एसआई उपेंद्र ने जब गुमशुदगी की जांच को आगे बढ़ाते हुए हेमा के फोन की काल डिटेल्स निकलवाई तो पता चला कि उस के फोन की आखिरी लोकेशन बढपुरा गांव में रविंद्र भाटी के घर पर थी.

काल डिटेल्स की जांच से यह भी पता चला कि उस की आखिरी बातचीत जिस नंबर पर हुई थी, वह नंबर बुलंदशहर में रहने वाले किसी अजय ठाकुर का था. अजय ठाकुर की लोकेशन भी उस वक्त बढ़पुरा में वहीं पाई गई, जहां हेमलता के फोन की थी.

एसआई उपेंद्र सब से पहले बढ़पुरा में रविंद्र भाटी के घर पहुंचे. वहां पहुंचने के बाद पता चला कि 12 नवंबर की रात तो परिवार की बेटी पायल ने खुदकुशी कर ली थी.

एसआई उपेंद्र समझ नहीं पा रहे थे कि आखिर हेमलता इतनी दूर वहां किस से मिलने आई थी. क्योंकि पायल के दोनों भाई भी इस बात से इंकार कर चुके थे कि वो हेमा को जानते हैं.

पायल के परिवार व गांव वालों के बयानों की तसदीक करने के लिए जब एसआई उपेंद्र दादरी थाने गए तो वहां यह बात साफ हो गई कि पायल ने वाकई खुदकुशी की थी.

दादरी पुलिस ने उन्हें पायल की लाश के फोटो भी दिखाए, जिस में उस का चेहरा व गरदन बुरी तरह जल कर वीभत्स हो गए थे. उसे देख कर कोई पहचान ही नहीं सकता था कि लाश किस लड़की की है.

एसआई उपेंद्र अजय ठाकुर की तलाश में बुलंदशहर पहुंचे. अजय ठाकुर मूलरूप से बुलंदशहर में सिकंदराबाद के महेपा जागीर गांव का रहने वाला था. अजय ठाकुर खेतीबाड़ी करता था. भरेपूरे संयुक्त परिवार के युवक अजय ठाकुर के परिवार में मातापिता और भाईबहनों के अलावा पत्नी सुमन और 5 व 3 साल के 2 बेटे थे.

परिवार वालों से एसआई उपेंद्र ने जब अजय के बारे में पूछा तो पता चला कि अजय भी 12 नवंबर, 2022 से ही लापता है. वह 12 नवंबर को घर से नोएडा जाने की बात कह कर बाइक से निकला था, उस के बाद से घर नहीं लौटा. इतना ही नहीं, उस के फोन जबजब काल की गई तो बंद मिला.

अजय के लापता होने पर घर वालों ने उस की हत्या की आशंका जताते हुए सिकंदराबाद थाने में 14 नवंबर, 2022 को उस की गुमशुदगी दर्ज करा दी थी.

एसआई उपेंद्र ने जब सिकंदराबाद थाने जा कर इस बात की तसदीक की तो अजय ठाकुर के परिवार की बात सही पाई गई.

तकनीकी जांच से मिले कुछ सुराग

इस के बाद तो एसआई उपेंद्र के लिए हेमा चौधरी की गुमशुदगी एक रहस्य भरी फिल्म बन गई. क्योंकि हेमा तक पहुंचने के जिस संपर्क सूत्र तक पुलिस पहुंच रही थी, पता चलता कि या तो उस की मौत हो चुकी है या वो लापता है.

26 नवंबर को बिसरख थाने के एसएचओ का तबादला हो गया और नए एसएचओ के रूप में इंसपेक्टर अनिल राजपूत ने थाने का कार्यभार संभाला. उन्होंने जब थाने में लंबित विवेचनाओं की जानकारी ली तो एसआई उपेंद्र के पास हेमा चौधरी की गुमशुदगी के बारे में पता चला.

मामला बेहद दिलचस्प था. एसएचओ अनिल राजपूत ने एसआई उपेंद्र की मदद के लिए कांस्टेबल राजीव कुमार, अनिल कुमार, शिवांक ढालिया, सरविंद्र कुमार और महिला कांस्टेबल ज्योति की टीम बना दी.

साथ ही टीम को हेमा चौधरी के अलावा अजय ठाकुर और पायल भाटी के मोबाइल फोन नंबरों की काल डिटेल्स निकलवाने और अजय ठाकुर के फोन को सर्विलांस पर लगवाने का आदेश दिया.

इस का सुखद परिणाम जल्द ही सामने आया. पायल, हेमा और अजय पाल की काल डिटेल्स खंगालने के बाद सामने आया कि अजय और पायल कई महीनों से एकदूसरे को जानते थे. दोनों के बीच कई बार लंबीलंबी बातचीत होती थी. पिछले कुछ दिनों से अजय हेमा से भी उस के फोन पर बातचीत कर रहा था.

इतना ही नहीं, 12 नवंबर की रात पायल, हेमा और अजय की लोकेशन एक साथ होना इस बात का साफ इशारा था कि एक मौत और 2 गुमशुदगी का आपस में कोई न कोई संबंध जरूर है. क्योंकि 3 लोग जिन में 2 महिलाएं थीं, एक रात को साथ थे.

इन में से एक महिला खुदकुशी कर लेती है. उस की भी पहचान नहीं होती, पहचान भी परिवार द्वारा कपड़ों से की जाती है. इस के बाद बाकी 2 लोग लापता पाए जाते हैं. ये सारे संयोग कई सवाल खड़े कर रहे थे.

काल डिटेल्स और सर्विलांस की मदद से पुलिस को जल्द ही इस बात का पता चल गया कि अजय का फोन कभी स्विच्ड औफ हो जाता है तो कभी काम करने लगता है.

12 नवंबर, 2022 के बाद जब भी अजय का मोबाइल फोन इस्तेमाल हुआ, उस से कुछ खास नंबरों पर ही बात हुई. उन में से एक नंबर ऐसा भी था जो अजय के नाम पर ही रजिस्टर्ड था, लेकिन उस की लोकेशन भी अजय के पुराने नंबर के साथ ही थी.

जांचपड़ताल के बाद एसआई उपेंद्र को यह भी पता चला कि अजय अपने बैंक एकाउंट से नेट बैंकिग के जरिए ट्रांजैक्शन कर रहा है. इस का मतलब साफ था कि वो सहीसलामत है. लेकिन हेमलता के बारे में जानने के लिए पुलिस का अजय तक पहुंचना जरूरी था.

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...