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दादा ब्रह्म सिंह ने दुनिया देखी थी, उन्हें पता था कि जवान लड़की जब एक बार किसी इंसान से दिल लगा बैठती है तो ज्यादा दिन तक उस के पांव में बंधन की बेडि़यां नहीं डाली जा सकतीं. लिहाजा उन्होंने जल्द से जल्द पायल के हाथ पीले करने का मन बना लिया.

इस के बाद चाचा, ताऊ और दादा सब मिल कर पायल के लिए लड़का देखने लगे. उस के लिए गहने भी तैयार करवाए जा रहे थे. दिल्ली और दूसरे इलाकों में पायल के लिए लड़के भी देखे जा रहे थे. लेकिन पायल तो अजय के साथ रहना चाहती थी.

पायल के दिल में पहले से ही इस बात की टीस थी कि उस के मातापिता ने जिन लोगों से परेशान हो कर खुदकुशी की थी, वे आजाद घूम रहे हैं.

दरअसल, पायल के परिवार ने जिन लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था, उन्होंने कोर्ट में जमानत याचिका दाखिल की और 3 आरोपियों को अग्रिम जमानत मिल गई थी. इधर चाचा, ताऊ व दादा ने उस के प्यार को भी उस से दूर रखने की जिद पकड़ ली थी.

अपने प्यार को हासिल करने और इंतकाम को पूरा करने के लिए पायल के दिमाग में अपराध का कीड़ा कुलबुलाने लगा. वह सोचने लगी कि आखिर ऐसा क्या किया जाए कि अजय हमेशा के लिए उस का हो जाए और मातापिता की मौत के जिम्मेदार लोगों को भी वह सजा दे सके.

दादरी पुलिस ने पायल के परिवार की शिकायत पर पायल के मातापिता की मौत में आत्महत्या के लिए प्रेरित करने की धारा में मुकदमा दर्ज किया था. जिस में स्वाति, उस के भाई और 2 अन्य लोगों को नामजद कराया गया था. लेकिन दादरी पुलिस नामजद किए गए आरोपियों को गिरफ्तार नहीं कर सकी.

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