चूडि़यों की खनक के लिए प्रसिद्ध फिरोजाबाद जिले के थाना सिरसागंज का एक गांव है कीठौत. इसी गांव के रहने वाले हैं भीकम सिंह और चंद्रभान सिंह. दोनों के घरों के बीच मात्र 4 घरों का फासला है. एक ही जाति के होने के कारण दोनों के परिवार का एकदूसरे के यहां आनाजाना था.
चंद्रभान सिंह के 3 बेटे अक्षय, गौरव व सौरभ थे. इन में दूसरे नंबर का 24 वर्षीय गौरव कुमार रेलवे में बिजली के तार खींचने का प्राइवेट काम करता था. जबकि भीकम सिंह के 2 बेटे रवि व अंकुश के अलावा 2 बेटियां आरती व खुशबू थीं.
आरती की शादी काफी पहले हो चुकी थी. भीकम सिंह व उन के बेटे गुजरबसर के लिए सिरसागंज में मट्ठा (छाछ) बेचने का काम करते थे.
जब गौरव छुट्टी पर गांव कीठौत आता तो अपनी बाइक से गांव में घूमता था. एक दिन खुशबू ने अपनी मां आशा देवी से कहा, ‘‘मां, मैं भी बाइक चलाना सीखना चाहती हूं.’’
इस पर आशा देवी ने गौरव से कहा, ‘‘बेटा खुशबू बाइक चलाना सीखना चाहती है. तुम उसे चलाना सिखा दो.’’
इस पर गौरव को कोई ऐतराज नहीं था. लिहाजा वह उसे बाइक सिखाने को तैयार हो गया. इस के बाद गौरव खुशबू को बाइक सिखाने लगा. दोनों ही हमउम्र थे. उन्हें एकांत मिला तो इस बीच दोनों के बीच नजदीकियां बढ़ती चली गईं.
बाइक सिखाने के दौरान मौका मिलते ही दोनों बाइक से गांव के बाहर निकल जाते. बाइक पर पीछे बैठने के दौरान वह गौरव को कस कर भींच लेती थी. खुशबू की इस छुअन से गौरव के शरीर में सनसनी सी दौड़ जाती. ऐसा करना खुशबू को भी अच्छा लगता था. क्योंकि वह उसे प्यार जो करने लगी थी.