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हमजा को अपनी सुपुर्दगी में ले कर पुलिस ने उस से पूछताछ की तो पता चला कि उसे और उस के भाई अयान को उन्हें ट्यूशन पढ़ाने वाला अजीम मोटरसाइकिल से ले गया था. हमजा की बातों से साफ हो गया कि बच्चों का अपहरण करने वाला कोई और नहीं, उन्हें ट्यूशन पढ़ाने वाला अजीम था.

हमजा तो सकुशल मिल गई थी, लेकिन उस का भाई अयान अभी भी अजीम के कब्जे में था. पुलिस को आसिफा से अजीम की मोटरसाइकिल का नंबर मिल गया था, इसलिए हरिद्वार पुलिस ने कंट्रोलरूम द्वारा उस की मोटरसाइकिल का नंबर फ्लैश करा कर जगहजगह बैरिकेड्स लगा कर वाहनों की चैकिंग शुरू करा दी. कोतवाली पुलिस हमजा को ले कर मुरादाबाद लौट आई. हमजा के गले व हाथ की अंगुलियों पर चोट के निशान थे, इसलिए पुलिस पहले उसे इलाज के लिए जिला चिकित्सालय ले गई. वहां से लौट कर उस से विस्तार से पूछताछ की गई.

चूंकि अयान अभी भी अजीम के कब्जे में था, इसलिए पुलिस को इस बात का डर सता रहा था कि कहीं वह उस के साथ कुछ बुरा न कर दे. मुरादाबाद पुलिस के आग्रह पर हरिद्वार पुलिस अपने स्तर से उस की तलाश कर रही थी. संभावना यह भी थी कि कहीं वह अयान को ले कर देहरादून न चला गया हो. इसलिए हरिद्वार पुलिस ने इस बात की सूचना देहरादून पुलिस को भी दे दी थी.

मामला एक मासूम की जान का था, इसलिए देहरादून पुलिस ने भी वाहनों की चैकिंग शुरू करा दी. पुलिस की इस मुस्तैदी का नतीजा यह निकला कि 25 नवंबर की सुबह यही कोई 9 बजे देहरादून की आईएसबीटी पुलिस चौकी के पास पुलिस ने एक बच्चे को बरामद किया, जिस ने अपना नाम अयान बताया. पूछताछ में उस ने बताया कि वह मुरादाबाद का रहने वाला है. बच्चा बहुत घबराया हुआ था. देहरादून के पुलिस अधिकारियों ने अयान से पूछताछ के बाद मुरादाबाद पुलिस को सूचना दे दी. इस के बाद मुरादाबाद पुलिस देहरादून पहुंची और अयान को ले आई. बेटे को सहीसलामत पा कर आसिफा सारे दुख भूल गई.

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