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5 अक्तूबर, 2022 को दशहरा पर्व था. कानपुर शहर की कच्ची बस्ती परमपुरवा निवासी 25 वर्षीय शालू भी अपने दोस्तों के साथ रात 12 बजे अरमापुर स्टेट का दशहरा मेला देखने घर से निकला. रात अधिक होने के कारण शालू की बहन नसीमा ने उसे मना किया तो वह बोला, ‘‘आपा, घंटे-2 घंटे में वापस आ जाऊंगा. तुम परेशान न होना.’’

नसीमा की बात को नकार कर शालू चला तो गया, लेकिन नसीमा की चिंता कम नहीं हुई. वह कमरे में पड़ी चारपाई पर लेट तो गई, लेकिन नींद नहीं आई.

रात लगभग एक बजे उस के मोबाइल पर काल आई. उस ने स्क्रीन पर नंबर देखा तो वह उस के भाई शालू का था. उस ने काल रिसीव की तो दूसरी तरफ से आवाज आई, ‘‘आपा, मुझे बचा लो. दोस्त मुझे पीट रहे हैं. इन के इरादे खतरनाक हैं. मेरी जान जा सकती है.’’

इस के बाद काल डिसकनेक्ट हो गई. नसीमा को लगा, जैसे किसी ने शालू से फोन छीन लिया हो.

भाई की जान खतरे में भांप कर नसीमा घबरा गई. उस ने बड़े भाई शेरू को जगाया फिर सारी बात बताई.

नसीमा की बात सुन कर शेरू भी घबरा गया. शेरू को पता था कि उस के भाई शालू के 3 दोस्त शिवम मिश्रा उर्फ बांगरू, अमित पासवान व सनी गुप्ता हैं, जो दर्शनपुरवा व ओमनगर में रहते हैं.

अत: शेरू भाई की तलाश में रात में ही दर्शनपुरवा उस के दोस्तों के घर गया. लेकिन तीनों में से कोई भी घर पर नहीं मिला. शेरू तब वापस घर आ गया. इस के बाद घर वाले रात भर शालू के वापस आने का इंतजार करते रहे.

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